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गांव वालों ने रातोंरात खोद डाला पूरा का पूरा किला, ढूंढ रहे थे छिपा खजाना, हाथ लगी ऐसी चीज!

भारत का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है. यहां के राजा-महराजों के पास काफी धन अंग्रेजों ने इस धन को जमकर लूटा. अंग्रेजों से बचाने के लिए कई लोगों ने अपने धन को जमीन के नीचे दबा दिया था. इसके बाद कुछ ऐसी परिस्थिति बनी कि वो धन निकाल नहीं पाए और इसी के साथ उसने खजाने का रुप ले लिया. भारत में हर साल कहीं ना कहीं से खुदाई के दौरान छिपा हुआ धन निकलने की खबर सामने आती है. लेकिन इस चक्कर में बूंदी के लोगों ने एक ऐतिहासिक दुर्ग को तबाह कर दिया.बूंदी के दो पठारों पर बारहवीं शताब्दी के दुर्ग बने थे. लेकिन अचनाक आसपास के इलाकों में ये अफवाह फ़ैल गई कि इस दुर्ग की जमीन के नीचे खजाना गड़ा है. बस फिर क्या था? ग्रामीणों ने पूरे दुर्ग की खुदाई कर डाली. अब ऐसी स्थिति हो गई है कि दुर्ग का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. खजाने के लालच में लोगों ने दुर्ग को जगह-जगह से खोद डाला है. इन दुर्गों का निर्माण बूंदी रियासत के पहले हुई थी. लेकिन अब ये कितने दिन तक टिके रहेंगे, इसे लेकर सवाल खड़ा हो गया है.बेहद दुर्गम है रास्ता
इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में ग्रामीणों ने सिर्फ सुना था. दरअसल, यहां तक जाने का रास्ता काफी दुर्गम है. यहां सिर्फ चरवाहे ही जाते थे. अरावली और विंध्य पहाड़ियों के बीच इस दुर्ग को सिर्फ पत्थरों से बनाया गया है. लेकिन खजाने की अफवाह के बाद कई ग्रामीण यहां पहुंच गए. उन्होंने जहां से भी मन किया, इसकी खुदाई कर डाली. बता दें कि इस दुर्ग को पुराने समय में चार सैनिक चौकियों से संरक्षित किया गया था.देवी मंदिर की स्थापना
दुर्ग के निर्माण के बाद इसके ऊपर पांच देवियों के मंदिर की स्थापना की गई थी. आसपास के लोगों में इस मंदिर के प्रति काफी श्रद्धा है. पहाड़ी पर कालंदा चौथ माता, हींगलाज देवी, खजुरी माता, झरोली माता और बूंदी के संस्थापक राव देवा हाड़ा के पिता बंगाराव के नाम पर बंगामाता की पूजा की जाती है. इन दुर्गों को एक समय में भुला दिया गया था. लेकिन जब यहां टाइगर रिजर्व का निर्माण हुआ, तब उम्मीद जगी कि इसे टूरिस्ट स्पॉट बनाया जाएगा. लेकिन अब इनकी हालत देख सिर्फ अफ़सोस किया जा सकता है. ग्रामीणों को यहां खजाना तो नहीं मिला. लेकिन दुर्ग को बर्बाद करने का क्रेडिट जरूर ले गए.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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