जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने पहली सुनवाई में तीन कर्मचारियों के ट्रांसफर आदेश के विरुद्ध स्टे ऑर्डर जारी किया है। इन मामलों में पेंशन नियम, रिटायरमेंट लाभ, और ट्रांसफर नीति के उल्लंघन के आधार पर याचिकाएं दायर की गई थीं। सभी मामलों में वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने पैरवी की।
शेख वाहिद खान, पंचायत समन्वय अधिकारी को रिटायरमेंट से एक साल पहले ट्रांसफर कर दिया
श्री शेख वाहिद खान, पंचायत समन्वय अधिकारी, जनपद पंचायत चौरई, जिला छिंदवाड़ा में पदस्थ हैं। उनका ट्रांसफर आदेश दिनांक 17/06/2025 को जनपद पंचायत जुन्नारदेव में जारी किया गया था, जबकि उनकी सेवानिवृत्ति में मात्र 12 महीने शेष थे। हाई कोर्ट जबलपुर में दायर याचिका में वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि यह ट्रांसफर आदेश पेंशन नियमों का उल्लंघन करता है, जिसके कारण रिटायरमेंट लाभ प्रभावित हो सकते हैं। कोर्ट ने सुनवाई के बाद ट्रांसफर आदेश को निरस्त कर दिया।
चंद्र शेखर पांडे, ASI को पिछले साल ट्रांसफर किया था अब रिलीव कर दिया
श्री चंद्र शेखर पांडे, ASI, दमोह पुलिस, SP ऑफिस दमोह में कार्यरत हैं। उनका ट्रांसफर आदेश दिनांक 01/03/2024 को दमोह से सिंगरौली के लिए जारी हुआ था, लेकिन कार्यालयीन आवश्यकताओं के कारण उन्हें एक वर्ष तक रिलीव नहीं किया गया। फिर, 01/03/2025 को उन्हें सिंगरौली के लिए रिलीव कर दिया गया। हाई कोर्ट जबलपुर में दायर याचिका में वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि ट्रांसफर आदेश की वैधता समाप्त हो चुकी थी, जिसके आधार पर रिलीविंग अनुचित था। कोर्ट ने ट्रांसफर आदेश और रिलीविंग दोनों को निरस्त कर दिया
शैलेंद्र कुमार दीक्षित, माध्यमिक शिक्षक को कार्यकाल से पहले ही ट्रांसफर कर दिया
श्री शैलेंद्र कुमार दीक्षित, माध्यमिक शिक्षक, शासकीय माध्यमिक विद्यालय, गाडाधुर, जनजातीय कार्य विभाग में मार्च 2024 से उच्च पद प्रभार पर कार्यरत थे। उनका ट्रांसफर आदेश गाडाधुर ब्लॉक घंसौर से कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, धूमा ब्लॉक लखनादौन, जिला सिवनी के लिए जारी किया गया था। हाई कोर्ट जबलपुर में वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि ट्रांसफर नीति के अनुसार, श्री दीक्षित ने वर्तमान स्कूल में तीन वर्ष पूरे नहीं किए थे। साथ ही, उनकी पत्नी मंडला जिले में शिक्षक हैं, और यह ट्रांसफर आदेश उनके परिवार और बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। कोर्ट ने श्री दीक्षित को पूर्व स्कूल में पुनः ज्वाइन करने की अनुमति दी और उनके अभ्यावेदन को 30 दिनों में निराकृत करने का आदेश दिया। तब तक ट्रांसफर आदेश पर स्टे ऑर्डर जारी रहेगा।