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मां-बाप बच्चों से बिल्कुल भी ना करें इन 3 चीजों की जिद, जीवन भर याद कर के कोसेंगे

कहते हैं बच्चे को जन्म देने से ज्यादा मुश्किल काम उसकी सही परवरिश करना है। पैरेंट्स बनने के बाद हर एक छोटी-बड़ी चीज का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार एक छोटी सी गलती बच्चों के जीवन पर गहरा असर छोड़ जाती है। उदाहरण के तौर पर आपने देखा होगा कि कुछ पैरेंट्स जानें-अनजाने में ही बच्चे पर अपनी जिद थोपने लगते हैं। उन्हें लगता है शायद ऐसा कर के वो बच्चे को सही रास्ते पर लाने की कोशिश के रहे हैं या फिर उनके मुताबिक वैसा करना ही सही है। हालांकि उनकी ये जिद थोपने की आदत कई बार बहुत भारी पड़ जाती है। कई बार बच्चे पैरेंट्स की इस आदत से इतना परेशान हो जाते हैं कि उन्हें अपने मां-बाप ही दुश्मन दिखाई देने लगते हैं। इसका बुरा असर उनके भविष्य और वर्तमान दोनों पर पड़ता है। आइए आज इसी पेरेंटिंग मिस्टेक्स के बारे में जानते हैं 

पढ़ाई के मामले में अपनी राय थोपने से बचें

बच्चे को दसवीं के बाद आर्ट्स लेनी थी क्योंकि उसे इतिहासकार बनना था लेकिन पैरेंट्स के दबाव के चलते आज वो इंजीनियर बने बैठा है। ऐसे कितने ही केस आपने अपने इर्द-गिर्द देखे और सुने होंगे। ऐसे बच्चे अक्सर अपने करियर में बेहतर करने के बाद भी नाखुश रहते हैं। कई बार तो इनके मन में अपने पैरेंट्स को ले कर गुस्से और फ्रस्ट्रेशन की भावना पैदा हो जाती है। ऐसे में पैरेंट्स का फर्ज बनता है कि समाज और अपनी सोच के दायरे से निकलकर एक बार अपने बच्चे के मन की भी सुनें। इससे आप दोनों का रिश्ता भी मजबूत होगा और बच्चा आगे चलकर एक खुशहाल इंसान बनेगा।

बच्चे को चुनने से दें अपना करियर

हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा अपने करियर में कुछ बड़ा करे और उनका नाम रोशन करे। इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन जब आप बच्चे पर अपनी पसंद थोपने लगें, तो यह बिल्कुल भी ठीक नहीं। हो सकता है बच्चे को आपकी मनपसंद सरकारी नौकरी की तैयारी करनी ही ना हो, उसे किसी और फील्ड में रुचि हो। लेकिन जब मां-बाप सोसाइटी और अपनी पसंद को बच्चे पर जबरदस्ती थोप देते हैं, तो बच्चा मजबूर हो जाता है। ये ना सिर्फ उसके सपने और खुशियों को मार देता है बल्कि अपने ही पैरेंट्स के लिए उसके अंदर एक गुस्से और फ्रस्ट्रेशन वाली भावना को जन्म देता है।

शादी से जुड़े फैसलों में ना बनाएं दवाब

कई बार पैरेंट्स अपने बच्चों पर जबरदस्ती शादी को ले कर दबाव बनाने लगते हैं। एक खास उम्र तक शादी कर लो, इससे करो या उससे मत करो; इन सभी से जुड़ी कई राय बच्चे पर थोपने की कोशिश की जाती है। जबकि यहां पैरेंट्स को यह समझना चाहिए कि शादी किसी भी इंसान के जीवन का सबसे अहम पल होता है। इससे जुड़ा कोई भी दवाब बनाना बिलकुल भी ठीक नहीं क्योंकि ये बच्चे के पूरे जीवन पर असर डाल सकता है।

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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