भोपाल: मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नवाचार किए जा रहे हैं. जिससे दूध के उत्पादन को बढ़ाने के साथ किसानों की कमाई भी बढ़ाई जा सके. अब इस दिशा में नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड की पहल पर अत्याधुनिक ब्रीडिंग और आईवीएफ सेंटर बनाने की शुरुआत की जा रही है. इसके लिए पशुपालन विभाग की कोकता ट्रांसपोर्ट नगर में स्थित 65 एकड़ जमीन चिंहित की गई है. जिसका जिला प्रशसन द्वारा सीमांकन कराया जा रहा है. यह काम पूरा होते ही नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड अत्याधुनिक ब्रीडिंग और आईवीएफ सेंटर बनाने का काम शुरु करेगा.
इन नस्ल की गायों की कराई जाएगी ब्रीडिंग
इस अत्याधुनिक ब्रीडिंग सेंटर में देशी नस्ल की गायों को प्राथमिकता दी जाएगी. देशी गायों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गिर, साहीवाल, गंगातीरी और हरियाणवी नस्ल की गायों को प्राथमिका दी जाएगी. इनके पालन के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा.साथ ही ब्रीडिंग सेंटर से उच्च नस्ल की गाय खरीदने पर सरकार किसानों को सब्सिडी भी देगी. कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से सेक्सड सॉर्टेड सीमन पर बल दिया जाएगा. वहीं गायों की प्रजनन शक्ति बढ़ाने के लिए आईवीएफ तकनीकी का इस्तेमाल भी किया जाएगा.सीमन सेंटर और आईवीएफ लैब की होगी स्थापना
पशुपालन विभाग के संचालक पीआर पटेल ने बताया कि, ”राष्ट्रीय कामधेनु मिशन के तहत भोपाल में अत्याधुनिक प्रजनन केंद्र की स्थापना की जाएगी. इसके लिए 65 एकड़ जमीन पशुपालन विभाग नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड को दे रहा है. यहां देशी नस्लों का उच्च अनुवांशिकता का प्रमाणित जर्मप्लाज्म उपलब्ध रहेगापशुपालकों और पशुपालन संस्थाओं को देशी नस्लों के उच्च अनुवांशिक सांडों का सीमन, भ्रूण, हीफर आदि उपलब्ध करवाने के लिये केन्द्र में सीमन सेंटर और आईवीएफ लैब भी स्थापित की जाएगी.”
इसलिए देशी नस्ल की गायों को दी जाएगी प्राथमिकता
बता दें कि, अब गाय पालन का काम केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है, यह एक मजबूत आर्थिक विकल्प है जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाता है, उनकी आय में बढ़ोत्तरी करता है. शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराता है. ऐसे में गोपालन में होने वाले खर्च को कम करने और दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए देशी नस्ल की गायों को संरक्षण व संवर्धन किया जाएगा. इससे दुधारु पशुओं की नस्ल में सुधार होगा और उच्च गुणवत्ता वाले पशु किसानों को मिल सकेंगे.
दरअसल देशी नस्ल की गाय में खर्च कम आता है, क्योंकि इनकी आहार क्षमता विदेशी नस्ल की गायों से कम होती है. वहीं इनका पालन करना भी आसान है. खास बात यह है कि देशी नस्ल की गायों पर वायरस अटैक और अन्य बीमारियां कम होती हैं.
किसानों को लोन और 3 प्रतिशत छूट पर मिलेगी बछिया
पीआर पटेल ने बताया कि, ”राष्ट्रीय कामधेनु मिशन के तहत नेशनल डयरी डेवलपमेंट बोर्ड से बछिया पालन के लिए भी अनुदान दिया जाएगा. इसमें किसानों को बछिया पालन करने पर 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. वहीं यदि किसान आईवीएफ तकनीकी से पैदा होने वाली बछिया खरीदता है, तो उसे बैंक से लोन की व्यवस्था करने के साथ 3 प्रतिशत सब्सिडी भी जाएगी. इसके साथ ही पशुपालकों को मध्यप्रदेश में भी कई योजना का लाभ दिया जा रहा है.”
मध्य प्रदेश की गोशालाओं में 4 लाख से अधिक पशुधन
बता दें कि, प्रदेश में स्वाबलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति पर तेज गति से कार्य किया जा रहा है. योजना में 5000 एवं अधिक गोवंश के पालन पर शासन की ओर से 130 एकड़ तक भूमि आवंटित किए जाने का प्रावधान है. वर्तमान में प्रदेश में गो संवर्धन बोर्ड के अंतर्गत 2942 गौशालाएं पंजीकृत है, जिसमें 2828 गो-शालाएं संचालित हैं. इन गो-शालाओं में 04 लाख 22 हजार गो-वंश का पालन पोषण किया जा रहा है.