छत्तीसगढ़

Chhattisgarh IAS, IPS: पहली बार कलेक्टर, SP सस्पेंड, जानिये राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में कौन-कौन IAS, IPS हुए सस्पेंड, सस्पेंशन से क्या होता है नुकसान..

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने बलौदा बाजार हिंसा के बाद कल आधी रात बड़ी कार्रवाई करते हुए कलेक्टर केएल चौहान और एसएसपी सदानंद को निलंबित कर दिया। दिसंबर 2023 में शपथ लेने वाली विष्णुदेव साय सरकार की छह महीने के कार्यकाल में पहली बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई है। इससे पूरी ब्यूरोक्रेसी हिल गई है। दोनों शीर्ष अफसरों को निलंबन करने का आदेश कल रात 11.30 बजे जारी हुआ। पब्लिक डोमेन में यह खबर आते-आते 12 बज गया था। दोनों अफसरों के सस्पेंशन की खबर की कल देर रात तक सोशल मीडिया ग्रुपों में चर्चा होती रहीं।

पहली बार कलेक्टर, एसपी दोनों सस्पेंड

छत्तीसगढ़ में इससे पहले एक बार एसपी सस्पेंड हो चुके हैं। मगर कलेक्टर और एसपी किसी सेम मामले में कभी निलंबित नहीं हुए। वो भी एक ही जिले के। हालांकि, उन्हें एक दिन पहले ही जिले से हटाकर रायपुर बुला लिया गया था। इसलिए कलेक्टर और एसपी के तौर पर हुई चूक के लिए ही वे सस्पेंड हुए हैं। डॉ0 रमन सिंह के दूसरे कार्यकाल में धमतरी के एसपी अविनाथ मोहंती को हटा दिया गया था। मुख्यमंत्री की सभा में हंगामा और पथराव हो जाने की घटना को सरकार ने गंभीरता से लिया था। हालांकि, पथराव बहुत ज्यादा नहीं, मामूली घटना थी। मगर इसे लॉ एंड आर्डर में गंभीर चूक माना गया था।

ये आईएएस हुए सस्पेड

छत्तीसगढ़ बनने के बाद 24 साल में छह आईएएस सस्पेंड हो चुके हैं। मगर लॉ एंड आर्डर में एक भी नहीं। क्योंकि, सभी छह आईएएस तब फील्ड पोस्टिंग में नहीं थे। इनमें से पांच करप्शन के मामले में सस्पेंड हुए हैं। और एक सरकार के खिलाफ बयान देने पर। 1987 बैच के आईएएस अजयपाल सिंह ने पर्यटन विभाग के सचिव रहते अपने ही विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ पुराने मंत्रालय में प्रेस कांफ्रेंस ले लिया था। इसके बाद रमन सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। बाद में उन्हें फोर्सली रिटायर कर दिया गया। उनके अलावे राधाकृष्णन, पी0 राघवन, बीएल अग्रवाल, समीर विश्नोई और रानू साहू सस्पेंड होने वाले आईएएस अफसरों में शामिल हैं। इन पांचों के खिलाफ करप्शन के मामले में कार्रवाई हुई।

ये आईपीएस किए गए निलंबित

छत्तीसगढ़ में आईएएस की तुलना में आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई कम हुई है। आईपीएस में सस्पेंड होने वालों में मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह, सदानंद और जीपी सिंह शामिल हैं. मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह और जीपी सिंह को सस्पेंड करने के पीछे सियासी वजह रही।

तीन आईएएस, आईपीएस नौकरी से बाहर

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सस्पेंड किए गए एक अफसर ने प्रदेश छोड़ दिया। सस्पेंशन की कार्रवाई के बाद आईपीएस अविनाश मोहंती ने प्रदेश छोड़ दिया। उन्होंने अपना कैडर चेंज करवा लिया। आईएएस अजयपाल सिंह और बीएल अग्रवाल को स्टेट रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर डीओपीटी ने फोर्सली वीआरएस दे दिया। आईपीएस में जीपी सिंह को रिव्यू कमेटी की अनुशंसा पर भारत सरकार ने रिटायर किया था। मगर उन्हें कैट से स्टे मिल चुका है। और उनकी फाइल राज्य सरकार की अनुशंसा के साथ भारत सरकार को भेजी जा चुकी है। किसी भी दिन उनकी पोस्टिंग का आदेश आ सकता है।

निलंबन से नुकसान

आईएएस, आईपीएस के निलंबन के बाद उनके खिलाफ चार्ज शीट फ्रेम किया जाता है। विभागीय जांच की जाती है। जांच में अगर दोषी पाए गए तो फिर मेजर पनिशमेंट दिया जाता है। मगर आईएएस, आईपीएस के खिलाफ कम ही ऐसा होता है कि वे दोषी पाए जाएं। आईपीएस तो कई बार लपेटे में आ जाते हैं, आईएएस के साथ विरले ही ऐसे मामले होते हैं। आईएएस अजय पाल मनमौजी मिजाज के थे और ब्यूरोक्रेसी में भी उनका कोई संबंध नहीं था। फिर भी डीई में उन्हें बेदाग साबित कर दिया गया। बाद में चूकि राज्य सरकार को कौवा मारकर टांगना था और अजयपाल का कोई बचाने वाला नहीं थी, इसलिए उन्हें नौकरी से हकाल दिया गया। बहरहाल, दोषी पाए जाने पर सर्विस बुक में भी उसे दर्ज किया जाता है। बहरहाल, सस्पेंशन से सबसे बड़ा नुकसान सामाजिक प्रतिष्ठा की होती है। अफसर की गल्ती हो या न हो, मगर बरसों तक इसकी चर्चा रहती है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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