Blog

पश्चिम ओडिशा मूल के लोगों ने उत्साह से मनाया नुआखाई, ईष्ट देवी देवताओं व पितरों को नए धान का भोग लगाकर किया प्रसाद ग्रहण

भिलाई। पश्चिम ओडिशा मूल के स्थानीय लोगों ने आज अपना सबसे बड़ा त्योहार नुआखाई उमंग और उत्साह के साथ मनाया। पूरी पवित्रता के साथ ईष्ट देवी देवताओं और अपने दिवंगत पितरों को पारम्परिक पकवान व नई फसल के धान से बना भोग अर्पित किया गया। फिर विधि विधान से पूजा अर्चना कर परिवार सहित नए धान का प्रसाद ग्रहण करने के बाद बड़ों का आशीर्वाद लिया और एक दूसरे को बधाई दी।

नुआखाई का त्योहार संपूर्ण ओडिशा में नहीं मनाया जाता। यह त्योहार पश्चिमी ओडिशा के संबलपुर, झारसुगुड़ा, बरगढ़, बोलांगीर, कालाहांडी और नुवापाड़ा जिले तक सीमित है। ओडिशा के इन जिलों के मूल निवासी भिलाई – दुर्ग में काफी तादाद में रहते हैं। लिहाजा गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद ऋषि पंचमी पर भिलाई – दुर्ग और इसके आसपास खुर्सीपार, मरोदा, पुरैना, जोरातराई, जामुल, भिलाई-3, चरोदा, जी. केबिन, देवबलोदा व कुम्हारी के उत्कल बस्तियों में आज नुआखाई त्योहार को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।

CEC

पश्चिम ओडिशा मूल के स्थानीय परिवार सुबह से ही नुआखाई त्योहार मनाने की तैयारी में जुटा रहा। पूजा करने वाले परिवार के मुखिया एक दिन पहले गणेश चतुर्थी के दिन उपवास रख कर अगले दिन नुआखाई त्योहार के लिए अपने ईष्ट देवी देवताओं और पितरों का आह्वान कर आमंत्रित किया। वहीं महिलाएं आज सुबह से ही पारम्परिक पकवान पीठा और खीर सहित भोजन बनाने में जुटी रही। नए धान को कूटकर शक्कर आदि मिलाकर प्रसाद बनाया गया।

Untitled design

परिवार के मुखिया द्वारा बारी बारी से ईष्ट देवी देवताओं और पितरों का पूजा करते हुए पूरी पवित्रता के साथ तैयार भोजन और नए धान का भोग लगाया गया। फिर परिवार के सभी लोगों ने अक्षत और पुष्प चढ़ाकर देवी देवताओं और पितरों को प्रणाम किया। आखिर में आचमन के बाद देवी देवताओं और पितरों को अर्पित नए धान का प्रसाद किसी बर्तन में संग्रहित कर मुखिया द्वारा परिवार के सभी सदस्यों को वितरित किया गया। नए धान का प्रसाद खाकर बड़ों का चरण स्पर्श करने की परम्परा का भी निर्वहन किया गया।

कृषि व ऋषि संस्कृति पर आधारित है त्योहार
नुआखाई भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार कृषि व ऋषि संस्कृति पर आधारित है। ‘नुआखाईÓ का शाब्दिक अर्थ नया खाना है। खेतों में खड़ी धान की नई फसल के स्वागत में यह मुख्य रूप से पश्चिम ओडि़शा के किसानों और खेतिहर श्रमिकों द्वारा मनाया जाने वाला पारम्परिक त्योहार है। लेकिन समाज के सभी वर्ग इसे उत्साह के साथ मनाते हैं। पश्चिम ओडिशा के मूल निवासियों के लिए इस त्योहार की महत्ता दीपावली से भी अधिक है। दीपावली की तर्ज पर नुआखाई में बच्चों के लिए नए कपड़े खरीदने की भी परम्परा है। वहीं घर की साफ सफाई और रंग रोगन भी की जाती है। इसलिए नौकरी पेशा या अन्य कारणों से बाहर रहने वाले नुआखाई में परिवार के साथ रहने की कोशिश में कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। लोग नुआखाई जुहार और भेंटघाट के लिए एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं।

The post पश्चिम ओडिशा मूल के लोगों ने उत्साह से मनाया नुआखाई, ईष्ट देवी देवताओं व पितरों को नए धान का भोग लगाकर किया प्रसाद ग्रहण appeared first on ShreeKanchanpath.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button