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करोड़ों दिल्‍लीवालों पर पड़ने वाला है राहु-केतु का साया, कौन हैं वे दो दुश्‍मन, जिन्‍होंने नाक में कर रखा है दम

देश की राजधानी दिल्‍ली में अभी सर्दी के मौसम ने बस दस्‍तक ही दी है और अभी से ही दशकों पुरानी समस्‍या की झलक इस बार भी दिखने लगी है. हवा की गुणवत्‍ता यानी AQI का लेवल लगातार काफी खराब श्रेणी में है. हालात ऐसे हैं कि एक्‍सपर्ट मास्‍क लगाकर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि, पानी का छिड़काव करने के साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर भी नकेल कसा जा रहा है. इसके बावजूद हालात पारा गिरने के साथ बेकाबू होते जा रहे हैं. अब सवाल है कि करोड़ों  दिल्ली वालो की जान का दुश्‍मन कौन है? वे कौन सी वजहें हैं जिनके चलते दिल्‍लीवासियों को हर साल जानलेवा प्रॉब्‍लेम से रूबरू होना पड़ता है? वेदर एक्‍सपर्ट ने चेताया है कि आने वाले समय में दिल्‍ली के लोगों को दो चीजों का सामना करना पड़ सकता है- पहला, AQI का लेवल बढ़ेगा और दूसरा पारा आने वाले दिनों में और लुढ़केगा.दरअसल, उत्तर-पश्चिमी ठंडी हवाओं के साथ पराली का धुआं दिल्ली की हवा में घुला रहा, जिसके कारण राजधानी धुंध और शैलो फॉग की चादर में लिपटी नजर आई. शुक्रवार सुबह हल्की धूप के बाद दृश्यता में कुछ सुधार हुआ, लेकिन शाम तक फिर से धुंध गहरा गई. शनिवार को भी कमोबेश वैसे ही हालात बने हुए हैं. राजधानी की एयर क्वालिटी ‘बहुत खराब’ (Very Poor) श्रेणी में दर्ज की गई. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज (MoES) के डिसीज़न सपोर्ट सिस्टम (DSS) के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के PM2.5 में पराली जलने की हिस्सेदारी 8.68% रही. यह गुरुवार के 9.48% से थोड़ा कम है, जो इस सीजन का सबसे ऊंचा स्तर था. हालांकि, दिन में अनुमान लगाया गया था कि पराली की हिस्सेदारी 38% तक पहुंच सकती है, लेकिन वास्तविक आंकड़े पराली जलाने और हवा की दिशा को ध्यान में रखकर संशोधित किए गए. DSS ने शनिवार को पराली का योगदान 30.9% रहने का अनुमान जताया है. पिछले वर्षों में नवंबर की शुरुआत पराली प्रदूषण के चरम का समय रहा है. 2022 और 2023 में पराली का योगदान 35% तक पहुंचा था, जबकि 2021 में यह 48% तक दर्ज किया गया था.

पराली जलाने से जुड़े आंकड़े

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के आंकड़े बताते हैं कि शुक्रवार को पंजाब में 100 और हरियाणा में 18 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए. यह गुरुवार की तुलना में काफी कम हैं, जब पंजाब में 351 और हरियाणा में 35 घटनाएं सामने आई थीं. विशेषज्ञों का कहना है कि आग की संख्या में कमी अस्थायी है और हवा की दिशा के कारण धुआं दिल्ली तक पहुंचता रहेगा. एक्‍सपर्ट का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक उत्तर-पश्चिमी हवाएं जारी रहेंगी, इसलिए पराली का धुआं दिल्ली की हवा को प्रभावित करता रहेगा.

तापमान में गिरावट

उत्तर-पश्चिमी हवाओं के चलते दिल्ली में ठंड बढ़ गई है. सफदरजंग मौसम केंद्र पर न्यूनतम तापमान लगातार दूसरे दिन 12.7°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री कम है. मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि शनिवार और रविवार को न्यूनतम तापमान 10°C से 12°C के बीच रहेगा और सोमवार से यह 10°C से नीचे जा सकता है. शहर में सबसे कम तापमान लोधी रोड (11.2°C) पर रिकॉर्ड किया गया, वहीं अयानगर में 11.4°C रहा. अधिकतम तापमान 28.6°C, यानी सामान्य से एक डिग्री कम दर्ज किया गया. IMD के अनुसार, पश्चिमी हिमालय में ताज़ा बर्फबारी के बाद ठंडी हवाएं मैदानी इलाकों की ओर बढ़ती हैं. साफ आसमान के कारण रात में गर्मी तेजी से निकलती है, जिससे तापमान और नीचे जाता है

Manoj Mishra

Editor in Chief

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