देवघर -जेठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री पूजा पूरे देश भर में की जाएगी. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना लिए बट वृक्ष की पूजा आराधना करती है. वट वृक्ष मे भगवान शिव का वास रहता है. जेठ माह की अमवास्या तिथि को अपनी कामना लिए वट वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए. लेकिन सभी वटवृक्ष की पूजा उस दिन नहीं की जाती है. तो कौन से वट वृक्ष की पूजा करे जानते है, देवघर के ज्योतिषआचार्य जी से.देवर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि 6 जून को वट सावित्री पूजा आराधना की जाएगी. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु कामना लिए वटवृक्ष की पूजा आराधना करती है.लेकिन, हर वट वृक्ष की पूजा आराधना नहीं करनी चाहिए. जैसे की वट सावित्री पूजा के दिन कई लोग वट का डाल तोड़कर उनकी पूजा करते है. ऐसा करने से जातक को कभी भी शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी.
कौन से वट वृक्ष की पूजा करे
ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि वट सावित्री पूजा के दिन सुहागीन महिलाओं को ऐसे वटवृक्ष की पूजा आराधना करनी चाहिए. जिसमें फूल और फल दोनों हो. इसके साथ ही वह वट वृक्ष हरा और छायादार होना चाहिए. तभी वटवृक्ष की पूजा शुभ मानी जाएगी.
इन वट वृक्ष की ना करे पूजा
ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि ऐसी वटी वृक्ष की पूजा आराधना नहीं करनी चाहिए. जिसमें फल नहीं होता है. इसके साथ हीं बट वृक्ष के आसपास गंदगी नहीं होनी चाहिए. सबसे बड़ी बात वट सावित्री पूजा के दिन वट वृक्ष की ढाणी तोड़कर पूजा बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए. इससे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी.
पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून रात 7 बजकर 23 मिनट से होने जा रही है. इसका समापन अगले दिन 6 जून को रात 9 बजकर 19 मिनट पर होगा. इसलिए उदया तिथि को मानते हुए 6 जून को ही वट सावित्री का निर्जला व्रत रखा जाएगा. वहीं, 6 जून को सुबह 06बजे से लेकर 09 बजे तक पूजा करने का शुभ मुहूर्त है.