सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा और नवरुपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा का गुणगान शास्त्रों में निहित है। धार्मिक मत है कि शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। वहीं, अष्टमी तिथि पर निशाकाल में मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।
दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Durga Ashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर भारतीय समयानुसार 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 11 अक्टूबर को दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। साधक स्थानीय पंचांग एवं पंडितों की सलाह ले सकते हैं।शारदीय नवरात्र की दुर्गाष्टमी पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इस योग का निर्माण दोपहर में हो रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे।
सुकर्मा योग
शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन देर रात 02 बजकर 47 मिनट पर होगा। ज्योतिष सुकर्मा योग को शुभ मानते हैं। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 20 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 55 मिनट पर
चन्द्रोदय- दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर
चंद्रास्त- रात 12 बजकर 19 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 50 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक