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कर्मचारियों पर धनवर्षा का फिटमेंट फैक्टर प्लान, 8वां वेतनमान और DA करेगा धमाल – MP EMPLOYEES 8TH PAY COMMISSION DA

मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों पर जल्द ही धनवर्षा होगी. लंबे समय से बड़ी सैलरी ग्रोथ का इंतजार करने वाले कर्मचारियों के सपने पूरे होंगे. दरअसल, केंद्र सरकार का 8वां वेतन आयोग गठित होने जा रहा है. 8वां वेतन आयोग गठित होने के बाद सबसे पहले नए फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जाएगा.

माना जा रहा है कि इस बार 8वां वेतन आयोग महंगाई को देखते हुए फिटमेंट फैक्टर में बंपर बढ़त करेगा, साथ ही डीए को लेकर भी बड़े फैसले होंगे. ऐसा हुआ तो मध्य प्रदेश सरकार भी केंद्र के नक्शे कदम पर चलते हुए अपने शासकीय कर्मचारियों को बंपर लाभ दे सकती है.

फिटमेंट फैक्टर क्या है? इससे सैलरी कैसे बढ़ेगी?

जब वेतन आयोग सैलरी की समीक्षा या नई सैलरी तय करता है तो फिटमेंट फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है. फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर होता है, जिसे कर्मचारियों की पिछली बेसिक सैलरी से मल्टीप्लाय किया जाता है और फिर इससे नई सैलरी तय की जाती है.

कैसे तय होता है फिटमेंट फैक्टर?

फिटमेंट फैक्टर तय करने के लिए वेतन आयोग महंगाई दर, कर्मचारियों की जरूरतें, सरकारी की वित्तीय हालत समेत कई मुद्दों पर गौर करती है. इसके साथ ही पिछले डीए और वर्तमान डीए यानी महंगई भत्ते को भी ध्यान में रखा जाता है. फिटमेंट फैक्टर तय करने का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सैलरी में एक समान और न्यायसंगत बढ़ोतरी देना होता है.

फिटमेंट फैक्टर करेगा मालामाल?

केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग द्वारा फिटमेंट फैक्टर को ज्यादा रखा जा सकता है. अगर ये पहले से ज्यादा हुआ तो मध्य प्रदेश सरकार भी इसे अपनाते हुए अपने कर्मचारियों को बड़ा लाभ दे सकती है. पिछले कुछ वेतन आयोगों की सिफारिशों में कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने मिलता है, कि नया वेतन तय करने से पहले वर्तमान डीए यानी महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद इसके टोटल पर नया फिटमेंट फैक्टर लगाया जाता है.

8वें वेतनमान का कुछ इस तरह मिलेगा फायदा

मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद है कि केंद्र की तरह उन्हें भी 8वें वेतनमान का बंपर लाभ मिलेगा. यही वजह है कि अब कर्मचारियों के बीच फिटमेंट फैक्टर और डीए को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. आप भी नीचे दिए गए उदाहरण से नए फिटमेंट फैक्टर और 8वें वेतनमान की संभावित सैलरी की गणना कर सकते हैं.

उदाहरण के तौर पर 2016 में जब 7वां वेतनमान लागू हुआ उस समय कर्मचारियों को 125 प्रतिशत तक महंगाई भत्ता मिल रहा था. यानी उस वक्त अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 20 हजार रु थी तो 125 प्रतिशत DA (25,000) मिलाकर कुल जोड़ 45,000 रु रहा होगा. इस पर 14.22 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि (6399 रु) जोड़ दें तो कुल जोड़ हुआ 51,399 रु. यानी फिटमेंट फैक्टर 51399/20000 = 2.57 प्रतिशत.

यही पैटर्न रहा तो मालामाल होंगे मध्य प्रदेश के कर्मचारी

पिछले कुछ दशकों में वेतन आयोगों की सिफारिशों पर गौर करें तो फिटमेंट फैक्टर में बंपर बढ़त का ट्रेंड देखने मिला है.

वेतन आयोग महंगाई भत्ता (DA) फिटमेंट फैक्टर
5वां (वर्ष 1996 ) 74% 1.86
6वां (वर्ष 2006 ) 115% 1.86 + ग्रेड पे कंसेप्ट
7वां (वर्ष 2016 ) 125% 2.57

पिछले तीन दशकों में फिटमेंट फैक्टर को देखकर समझा जा सकता है, कि इससे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में खासी बढ़त हुई है. फिटमेंट फैक्टर सीधे तौर पर बेसिक सैलरी और डीए के कुल जोड़ से गुणा कर दिया जाता है. उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष फिटमेंट फैक्टर 3.0 रखा जा सकता है.

मध्य प्रदेश में कब लागू होगा 8वां वेतनमान?

केंद्र सरकार का 8वां वेतन आयोग अपनी सिफारिशों 2026 तक जारी कर सकता है, जिसके बाद केंद्रीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा. इसके बाद ही मध्य प्रदेश की सरकार 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर गौर करेगी. हालांकि, मध्य प्रदेश की मोहन सरकार इसे पूरी तरह से अपनाए ऐसा जरूरी नहीं है. क्योंकि वर्तमान में मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को दिए जा रहे भत्ते ही केंद्र के समान नहीं हैं. तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा था, ” 13 सालों के बाद अलाउंस बढ़ें लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. शासकीय कर्मचारियों को उचित लाभ मिलने की उम्मीद थी. अगर ये भत्ते केंद्र के हिसाब से बढ़ाए गए होते तो मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलती.”

गौरतलब है कि मध्य प्रदेस सरकार अपनी वित्तीय स्थिति के हिसाब से 8वें वेतनमान को लेकर निर्णय लेगी. हालांकि, इसके लिए कर्मचारियों को 2027 तक इंतजार करना पड़ सकता है. सरकार ने अगर केंद्र की तरह ही 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया तो मध्य प्रदेश के कर्मचारी निश्चित ही मालामाल होंगे.

हालांकि, देखना ये होगा कि डीए को बेसिक सैलरी में पहले की तरह समाहित किया जाता है कि नहीं?

Manoj Mishra

Editor in Chief

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