छत्तीसगढ़

महतारी वंदन योजना ने साकार किया सोने का लॉकेट खरीदने का सपना

महतारी वंदन योजना ने साकार किया सोने का लॉकेट खरीदने का सपना

छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक सहायता से आत्मनिर्भर बनीं दसवंतीन बाई

कवर्धा  2024। कबीरधाम जिले के एक छोटे से गाँव सैगोना नयापारा की रहने वाली दसवंतीन बाई पटेल ने कभी नहीं सोचा था कि उनका सोने का लॉकेट खरीदने का सपना पूरा हो सकेगा। उनके परिवार में पति रमेशर पटेल और बेटा-बहू हैं, जो खेती और मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की “महतारी वंदन योजना” ने उनके सपनों को पंख दिए।
दसवंतीन बाई बताती है कि महतारी वंदन योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपए की आर्थिक सहायता ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद की है। 7 महीने की किश्तों को एकत्र कर उन्होंने सोने का लॉकेट खरीदा, जो उनके लिए एक सपने के पूरे होने जैसा था। दसवंतीन बाई गर्व से कहती हैं यदि महतारी वंदन योजना नहीं होती, तो मैं सोने का लॉकेट कभी नहीं खरीद पाती। यह मेरे लिए बहुत खास है, और इसे पहनकर मुझे अपनी मेहनत और सरकार के सहयोग का गर्व महसूस होता है। उन्होंने बताया कि हर महीने एक हजार रूपए की राशि मिल रही है।
दसवंतीन बाई के परिवार को केवल महतारी वंदन योजना ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना और कृषि संबंधित योजनाओं का भी लाभ मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें पक्का मकान मिला, जो अब उनके परिवार की खुशहाली का प्रतीक बन चुका है। उनके पति और बेटे को भी सरकारी योजनाओं से कृषि में लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।
दसवंतीन बाई ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और छत्तीसगढ़ सरकार का तहे दिल से धन्यवाद करते हुए कहा कि महतारी वंदन योजना ने न केवल मुझे आर्थिक रूप से सशक्त बनाया बल्कि मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है। आज मैं अपने परिवार के साथ खुशहाल और सुरक्षित जीवन जी रही हूँ।
दसवंतीन बाई की तरह छत्तीसगढ़ की लाखों महिलाएं महतारी वंदन योजना से लाभान्वित हो रही हैं। यह योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। दसवंतीन बाई की कहानी बताती है कि सरकारी योजना के सही उपयोग से उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं। सोने के लॉकेट को पहनकर मुस्कुराती हुई दसवंतीन बाई की खुशी उनके सपनों के साकार होने की गवाही देती है। यह कहानी हर उस महिला की प्रेरणा है, जो अपने छोटे-छोटे सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रही है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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