छत्तीसगढ़

कटघोरा के लिथियम से अब देश में बनेगी बैटरी, इलैक्ट्रानिक वाहनों के लिए इसी से बनती है बैटरी, लैपटाप मोबाइल में भी होता है उपयोग

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में लिथियम (Lithium) के भंडार मिलने के बाद कटघोरा स्थित पहले लिथियम खदान की नीलामी की गई है। केंद्र सरकार ने लिथियम ब्लॉक का टेंडर कोलकाता बेस्ड माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिया है

नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी तथा कोयला और खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी के चौथे दौर की शुरुआत करते हुए यह जानकारी दी है। देश के इस पहले लिथियम ब्लॉक का टेंडर माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल किया है। जिसे कटघोरा लिथियम (Lithium) और दुर्लभ खनिज (आरईई) ब्लॉक कंपनी को 76.05 प्रतिशत के नीलामी प्रीमियम पर दिया गया है।जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की है पुष्टि
कटघोरा से लगे ग्राम घुचापुर के पास लिथियम (Lithium) का जो खदान मिला है वो तक़रीबन 250 हेक्टेयर में फैला है। जीएसआई के प्रारंभिक सर्वे में ही कटघोरा क्षेत्र में लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 10-2000 पीपीएम लीथियम कंटेन्ट पाया गया है। इस ब्लॉक में रेयर अर्थ एलीमेंट की भी मौजूदगी पाई गई है।

बैटरी बनाने में किया जाता है उपयोग
लिथियम (Lithium) का उपयोग मुख्‍य रुप से बैटरी बनाने में किया जाता है। कई तरह की रिचार्ज होने वाली बैटरियां भी इससे बनाई जाती है। रिचार्च होने वाली बैटरियों का उपयोग मुख्‍य रुप से वाहनों के साथ ही मोबाइल और लैपटाप आदि में होता है।

क्या है लिथियम
लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। REE के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है।

आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण
लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।

एक टन की कीमत 57.36 लाख रुपए
दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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