सेहत

काफी महंगी है ये सब्जी, बिना खाद-पानी के होती है खेती, फायदे भी जान लीजिए

केर-सांगरी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होता है. यह एंटीऑक्सीडेंट भी है. स्वाद के साथ ये रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. अगर आप लंबे समय से सर्दी-खांसी से परेशान हैं तो इसकी डंठल का चूर्ण बनाकर खाने से आराम मिलता है.

हरी सब्जियां सेहत के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती हैं. वहीं कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं. इन्हीं में से एक सब्जी है केर-सांगरी. इस सब्जी की गिनती पारंपरिक राजस्थानी खाने में भी होती है. साथ ही इस सब्जी की खास बात ये है कि इसे उगाने के लिए किसी तरह की मेहनत नहीं करनी पड़ती है. ये बिना खाद-पानी के उग जाती है.

इस सब्जी की मांग इन दिनों काफी तेजी से बढ़ रही है. इसकी मांग राजस्थान में ही नहीं देश के अन्य प्रदेश में भी होने लगी है. राजस्थान में केर-सांगरी का साग अधिक मात्रा में खाया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस सब्जी की कीमत और इसके फायदे.

केर-सांगरी के फायदे

केर-सांगरी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होता है. यह एंटीऑक्सीडेंट भी है. स्वाद के साथ ये रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. अगर आप लंबे समय से सर्दी-खांसी से परेशान हैं तो इसकी डंठल का चूर्ण बनाकर खाने से आराम मिलता है. केर-सांगरी को खाने से खून की कमी और हड्डियों में दर्द जैसी समस्या में आराम मिलता है.

केर-सांगरी के फायदे

केर-सांगरी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होता है. यह एंटीऑक्सीडेंट भी है. स्वाद के साथ ये रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. अगर आप लंबे समय से सर्दी-खांसी से परेशान हैं तो इसकी डंठल का चूर्ण बनाकर खाने से आराम मिलता है. केर-सांगरी को खाने से खून की कमी और हड्डियों में दर्द जैसी समस्या में आराम मिलता है.

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केर-सांगरी की कीमत

केर-सांगरी कि कीमत की बात करें तो इसकी कीमत 100 से 200 किलो होती है. वहीं ये बड़े शहरों तक पहुंचते-पहुंचते 400 से 500 किलो तक पहुंच जाती है. इसके अलावा केर-सांगरी सुखाकर साल भर खाई जा सकती है. इसलिए सूखने पर इसकी कीमत 5 गुना बढ़ जाती है और इसका भाव 1200 से 1500 किलो तक पहुंच जाता है.

केर-सांगरी का इस्तेमाल

केर-सांगरी का पेड़ भारत में ज्यादातर राजस्थान में पाया जाता है. इसके पौधे पर छोटे-छोटे हरे फल आते हैं, जिनका इस्तेमाल सब्जी से लेकर अचार बनाने के लिए किया जाता है. सांगरी भी सूखी जगहों पर ही पाई जाती है, इसलिए इसे ‘डेजर्ट बीन’ के नाम से भी जाना जाता है. वहीं इसे सुखाकर आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

केर-सांगरी की खेती

हालांकि केर-सांगरी मारवाड़ की एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती नहीं होती है. केर की झाड़ियां रेतिली मिट्टी और जंगलों में खुद ही उग जाती है. साथ ही केर-सांगरी कम पानी और बीना खाद के भी जिंदा रहती है. ऐसे में किसानों को सांगरी की खेती नहीं करनी पड़ती है. यह खुद ही इधर- उधर उग जाती है. लेकिन एक खास तकनीक से इसकी खेती की जा सकती है. इसके पौधों को ग्राफ्टिंग विधि द्वारा उगाया जा रहा है. इस विधि से तैयार पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा होती.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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