सभी एकादशी में से निर्जला एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि इस दिन साधक बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत करते हैं। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी 18 जून (Kab Hai Nirjala Ekadashi) को पड़ रही है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस व्रत का संबंध गदाधारी भीम के जीवन से भी है। निर्जला एकादशी व्रत महिलाओं के लिए अधिक शुभ माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो कुछ महिलाओं को यह व्रत करने की मनाही है। ऐसे में आइए जानते हैं किसको निर्जला एकादशी व्रत नहीं करना चाहिए।
इन महिलाओं को नहीं करना चाहिए निर्जला एकादशी व्रत
शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत में अन्न और जल का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को निर्जला एकादशी व्रत नहीं करना चाहिए। इस दिन गर्भवती महिलाएं भगवान विष्णु पूजा कर सकती हैं। निर्जला एकादशी व्रत को अधिक उम्र की महिलाओं या किसी बीमारी के दौरान नहीं करना चाहिए। इन महिलाओं को एकादशी व्रत में श्री हरि की पूजा कर कथा का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और संतान की प्राप्ति होती है। हिंदू रीति रिवाजों की मानें महिलाओं को मासिक धर्म के समय पूजा-पाठ करने की मनाही है। ऐसे में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को निर्जला एकादशी व्रत नहीं करना चाहिए। अगर व्रत के समय मासिक धर्म आ जाए तो व्रत रखकर किसी और के द्वारा पूजा-अर्चना करवा सकते हैं। माना जाता है कि इससे पूजा सफल होगी।पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं इस तिथि का समापन 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को किया जाएगा
अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। जगन्नाथ डॉट कॉम यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। जगन्नाथ डॉट कॉम अंधविश्वास के खिलाफ है”।