रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी अफसर और नेता किराया की महंगी और लग्जरी गाड़ियों में सैर नहीं कर पाएंगे। वित्त विभाग ने सरकारी विभागों से लेकर निगम, मंडल और प्राधिकरण सहित अन्य उपक्रमों में किराया की गाड़ियों के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है। वित्त सचिव मुकेश कुमार बंसल की तरफ से जारी इस आदेश में कहा गया है कि विशेष और खास परस्थिति में ही किराया की गाड़ी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए वित्त विभाग की अनुमति लेनी पड़ेगी। इतना ही नहीं वित्त विभाग ने किराया सूची भी जारी कर दी है। यानी सरकार में किराया के वाहनों के नाम पर होने वाले हर तरह के खेला पर रोक लगा दी गई है।
सरकारी गाड़ी का ही कर सकते हैं प्रयोग
वित्त विभाग के अफसरों के अनुसार राज्य सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों में पर्याप्त वाहन है, लेकिन उसका उपयोग करने की बजाय अफसर लग्जरी गाड़ी में घुमते नजर आते हैं। बता दें कि राज्य सरकार के वाहनों के नंबर की सीरिज 02 और 03 है। प्रशासनिक वाहनों के नंबर सीजी 02 और पुलिस विभाग के वाहनों का नंबर सीजी 03 से शुरू होता है। लेकिन फिल्ड में घुमने वाले ज्यादातर अफसर इन नंबर वाली गाड़ियों की बजाए प्राइवेट नंबर की गाड़ियों में घुमते हैं। इसके एवज में सरकारी खजाने से हर महीने मोटी रकम निकलती है। इसी वजह से सरकार ने अब किराया पर वाहन लेने पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।
इन वाहनों का उपयोग केवल कलेक्टर और एसपी या उससे ऊपर रैंक के अफसर ही कर सकेंगे उपयोग
वित्त विभाग ने कुछ शर्तों के साथ निजी वाहनों के उपयोग की छुट दी है, लेकिन इसमें भी सरकार ने वाहनों की पात्रता और किराया तय कर दिया है। वित्त विभाग के आदेश के अनुसार इनोवा, महिंद्रा XUV700, टाटा हैरियर और टाटा सफारी का उपयोग कलेक्टर, एसपी, विभागाध्यक्ष या उससे ऊपर रैंक के अफसर ही कर सकते हैं।
किराया पर वाहन लेने के लिए तय की गई शर्त
1. किराये पर उपलब्ध कराये जाने वाले वाहन का मॉडल वर्ष 2020 या उसके बाद का होना चाहिए। इन वाहनों के पंजीयन संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि अनिवार्यतः ली जाये।
2. वाहन के समस्त दस्तावेज जीवित बीमा (कम्प्रेहेन्सिव) तथा फिटनेस प्रमाण पत्र आदि होना अनिवार्य है। उपरोक्त सभी का भुगतान वाहन मालिक द्वारा किया जावेगा। बीमा संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि जमा किया जाये।
3. वाहन मुख्यालय पर रहने एवं मुख्यालय से बाहर रहने पर कोई अतिरिक्त राशि देय नहीं होगा।
4. किराये की अवधि में वाहन आबंटित अधिकारी के आधिपत्य में रहेगा तथा फर्म के द्वारा अपने निजी प्रयोजन अथवा कार्यालय से हटकर अन्य कार्य हेतु वाहन का उपयोग किया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से वाहन हटा दिया जावेगा।
5. वाहन की मरम्मत, रख-रखाव, दुर्घटना दावा एवं समस्त अन्य खर्चे वाहन मालिक द्वारा वहन किया जाएगा।
6. उपयोग के दौरान वाहन के खराब होने की स्थिति में समतुल्य वाहन तत्काल उपलब्ध कराना होगा। वाहन तत्काल उपलब्ध न कराये जाने पर उक्त दिवस की राशि कटौती की जाएगी। यदि कार्यालय द्वारा वाहन की व्यवस्था की जाती है, तो व्यय पूर्ति की जवाबदारी फर्म की होगी।
7. वाहन का उपयोग अवकाश दिवसों पर भी किया जावेगा। यदि उक्त दिवसों पर वाहन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो मासिक दर के आधार पर प्रति दिवस राशि की गणना कर कटौती की जावेगी।
8. फर्म के द्वारा वाहन चालक के संबंध में जानकारी (आधारकार्ड, वैध ड्रायविंग लाइसेंस, अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति) उपलब्ध करायी जाए। वाहन चालक यातायात नियमों का ज्ञान रखने वाला होना चाहिए। कम से कम 03 वर्ष वाहन चलाने का अनुभव हो तथा वाहन चालक के विरूद्ध किसी प्रकार का आपराधिक / दुर्घटना प्रकरण दर्ज न हो।
9. वाहन की लॉग बुक प्रतिदिन अनिवार्य रूप से वाहन चालक को संधारित करना होगा एवं उपयोग करने वाले अधिकारी / कर्मचारी से प्रतिदिन हस्ताक्षर लिया जाना होगा।
10. लॉग बुक की सत्यापित छायाप्रति के साथ देयक एक प्रति में प्रस्तुत करना होगा। फर्म द्वारा बैंक खाते का विवरण कार्यालय को उपलब्ध कराना होगा।
11. देयक के भुगतान में नियमानुसार आयकर एवं जी.एस.टी. की कटौती की जावेगी।
12. वाहन चालक का समस्त व्यय (वेतन, भत्ता आदि) फर्म द्वारा देय होगा।
13. वाहन चालक के अवकाश पर रहने या अस्वस्थ होने पर फर्म के द्वारा तत्काल दूसरे अर्हताधारी वाहन चालक की व्यवस्था की जायेगी।
14. दर निर्धारण पश्चात् नियत अवधि हेतु कार्यादेश दिया जावेगा। कार्यादेश में उल्लेखित शर्तों का एजेंसी के द्वारा उल्लंघन करने पर सेवाएं समाप्त कर दी जावेगी। किसी भी समय कार्यादेश रद्द करने का अधिकार कार्यालय प्रमुख के पास सुरक्षित होगा।
15. नियत अवधि में पेट्रोल / डीजल के दर/टैक्स/जी.एस.टी. में वृद्धि होने पर बढ़े हुए दर के भुगतान का दायित्व वाहन आपूतिकर्ता फर्म का होगा।
16. उपयोग किए जाने वाले वाहन के प्रकार का निर्धारण करने का अधिकार कार्यालय को होगा।
17. वाहनों के दरों के निर्धारण पश्चात् फर्म द्वारा राशि 1,00,000/- रू. का सावधि जमा, किराये से वाहन प्राप्त करने वाले अधिकारी के पदनाम से धरोहर / अमानत राशि के रूप में जमा करना होगा। उक्त फर्म का वाहन जब तक कार्यालय में उपयोग किया जाएगा, तब तक उक्त राशि जमा रहेगी। फर्म के द्वारा कार्यालय से वाहन हटाये जाने के पश्चात् ही अमानत राशि फर्म को वापस की जावेगी। शर्त के उल्लंघन पर अमानत राशि जब्त किया जायेगा।
18. स्वीकृत दर पर आवश्यकतानुसार वाहन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित ट्रेवल्स एजेंसी / फर्म की होगी। अनुपलब्धता की स्थिति में उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी तथा अन्य एजेंसी / फर्म से वाहन प्राप्त किया जायेगा।
19. वाहन किराये पर उपलब्ध कराने के संबंध में किसी भी प्रकार के विवाद होने की स्थिति में अंतिम निर्णय कार्यालय प्रमुख द्वारा लिया जाएगा। उनका निर्णय अंतिम व उभय पक्ष को मान्य होगा।
मासिक किराया दर में वाहन अधिकतम 2000 कि.मी. चलित दौरा सम्मिलित है, जिसमें पेट्रोल/डीजल फर्म के द्वारा देय होगा। मासिक 2000 कि.मी. से अधिक चलने पर निर्धारित दर से अतिरिक्त किराया देय होगा।
21. वाहन में फास्टेग की सुविधा अनिवार्य होगी तथा इसका रिचार्ज अनुबंधकर्ता फर्म द्वारा किया जावेगा।
22. वाहन उपलब्ध कराने वाले फर्म को कार्यालय प्रमुख के साथ शर्तों के अनुरूप अनुबंध निष्पादित करना होगा।