: हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 19 मई को मोहिनी एकादशी है। सनातन शास्त्रों में भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार का वर्णन विस्तार से दिया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक द्वारा किए गए सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक को मृत्यु उपरांत वैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में पितर आरती जरूर करें।
श्री विष्णु आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
दास जनों के सकट
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ।
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता।
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।।
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ।।
ॐ जय जगदीश हरे…
पितर जी की आरती
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।
पितर जी की आरती
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी।।
जय जय पितर महाराज…
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे।।
जय जय पितर महाराज…
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।।
जय जय पितर महाराज…
देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।।
जय जय पितर महाराज…
भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।।जय जय पितर महाराज…