मिर्जापुर : पहले और अबके समय में अंतर हो गया है. पहले कुली को सभी याद करते थे. हम लोगों के पास फुर्सत नहीं थी कि बैठ सकें. दिन में अच्छी कमाई हो जाती थी. हालांकि, अब तो पेट पालने का संकट है. कमाई खत्म है. वजह अत्याधुनिक सुविधाओं की बढ़ोतरी है. स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी है. लिफ्ट है. अब कोई याद नहीं करता है. यह कहना है मिर्जापुर स्टेशन के कुलियों का. जो इस आस में हैं कि रोजगार न् सही, उनके लिए सरकार कुछ करेगी. बदलते दौर में सबकुछ अत्याधुनिक हो रहा है. ऐसे में जहां इसका फायदा है तो दूसरी ओर नुकसान है. स्टेशन पर कुलियों की कमाई अब खत्म सी हो गई है. शायद कोई नया इस काम से अब जुड़ना भी चाहे.स्टेशन पर स्वचलित सीढ़ी, लिफ्ट और अटैची व बैग में पहिये आने लगे. तबसे कमाई खत्म हो गई. अब तो गेट के पास तक गाड़ियां आ रही हैं. उससे आते हैं और लेकर चले जाते हैं. हम लोग खड़े ही रह जाते हैं. हम लोगों को कुछ नहीं मिलता है. 100 से 50 रुपये मिल जाता है. बस खुद के खाने का इंतजाम हो रहा है. परिवार की परवरिश भी नहीं हो पा रही है. हम लोग उदास रहते हैं. सरकार से यहीं मांग करते हैं कि जो जवान हो, उनको ग्रुप डी की नौकरी दी जाए और बुजुगों को पेंशन दी जाए.रमेश ने कहा कि मेहनत को सम्मान है, लेकिन पैसे नहीं हैं. ट्रॉली बैग आ गया. अन्य सुविधाएं हो गई. हम लोगों को पूछने वाला कोई नहीं है. हम लोगों से ट्रेन और शौचालय के बारे में पूछते हैं. पप्पू यादव ने बताया कि अब कमाई खत्म हो गई. स्टेशन पर व्यवस्था हो गई है और महंगाई भी बढ़ गई है. इसलिए हम लोगों को कोई याद नहीं करता है. हम लोगों को उपेक्षित कर दिया गया है. सरकार सबकुछ जान रही है, लेकिन ध्यान नहीं दे रही है. अगर ध्यान दे देगी तो काम हो जाएगा.
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