छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पदस्थ रहे कलेक्टर कुणाल दुदावत का कोरबा ट्रांसफर हो गया है. वे दंतेवाड़ा के बाद अब कोरबा जिले की कमान संभाल रहे हैं. सबसे खास बात ये है कि कुणाल दंतेवाड़ा के ऐसे कलेक्टर हैं जिनके नाम सबसे कम यानि सिर्फ 8 महीने का रिकॉर्ड है. इतने कम समय में उनका ट्रांसफर दूसरे जिले में कर दिया गया. इनका ट्रांसफर होते ही जिले के लोग चौंक गए. क्योंकि लोगों का कहना है कि कलेक्टर का कार्यकाल काफी अच्छा रहा है.घोटालों का पर्दाफाश कर अफसरों को सलाखों के पीछे भिजवाने का शानदार रिकॉर्ड है.
बाढ़ बनी थी चुनौती
दंतेवाड़ा में पहली बार बारिश ने तबाही मचाई थी. हालात ये थे कि बाढ़ की वजह से जिलेभर में भारी नुकसान हुआ था. दंतेवाड़ा के इतिहास में पहली बार था जब ऐसी आपदा आई थी. तब कुणाल दुदावत ने मोर्चा संभाला और हर प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का काम खुद किया और टीम को भी इस काम में लगाया. इसके अलावा अपने छोटे से कार्यकाल में पर्यटन को लेकर भी बेहतर काम किया. सबसे ज्यादा चर्चाओं में तब रहे जब आदिवासी विकास विभाग में 5 सालों के भ्रष्टाचार और घोटाले की पोल खोलकर रख दी और भ्रष्ट अफसरों को सलाखों के पीछे भिजवाया था. अपने कुशल व्यवहार से आम जनता का दिल भी जीता था. इनके एकाएक ट्रांसफर होने से जिलेवासी भी चौंक गए हैं. हालांकि इन्हें सरकार ने कोरबा जैसे एक और बड़े जिले की कमान दे दी है
आइए जानते हैं इनके बारे में
कुणाल दुदावत मूलत: राजस्थान के रहने वाले हैं. वे 2017 बैच के अफसर हैं. उन्होंने मुंबई से आईआईटी किया फिर देश-विदेश की मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब की. लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने का जुनून था तो तैयारी शुरू कर दी. वे आईपीएस बने थे. लेकिन पढ़ाई जारी रखी और फिर आईएएस अफसर बन गए
इन जिलों में रहे हैं पोस्टेड
कुणाल दुदावत बिलासपुर, महासमुंद, कोरिया में पोस्टेड रहे हैं. कोरिया में जिला पंचायत सीईओ रहते हुए इन्होंने पर्यटन को लेकर बेहतर काम किया था. वे बिलासपुर के कमिश्नर भी रह चुके हैं. इसके बाद कोंडागांव के कलेक्टर बनाए गए थे. यहां से इनका दंतेवाड़ा ट्रांसफर हुआ. अब वे कोरबा भेजे गए हैं. दंतेवाड़ा से रिलीव होकर कोरबा ज्वाइन कर लिया है.




