देश दुनिया

मां के साथ खेतों में मजदूरी की, ₹800 महीना में काटे दिन… अब सेना में अफसर बना हरियाणा का छोरा

सफलता की राह में अक्सर रूकावटें तो आती ही हैं, पर यहां मंजिल भी उन्हीं को मिलती है जो हार नहीं मानते।’ हरियाणा के हरदीप गिल ने इस फेमस लाइन को सच साबित करके दिखाया दिया है। बचपन में पिता को खोना, मां के साथ खेतों में मजदूरी और सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) में लगातार 8 असफलता… किसी भी इंसान का हौसला तोड़ने के लिए काफी है। लेकिन सेना में जाने का जज्बा और किसान मां का संघर्ष ही था जिन्होंने हरदीप को सेना में अफसर बन दिया। उनकी   आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं।​हरियाणा के जींद जिले में उचाना के पास अलीपुर गांव के रहने वाले हरदीप का जीवन संघर्ष और मेहनत से भरा हुआ है। वह महज 2 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। तब उनकी मां संत्रों देवी ने हरदीप और उनकी तीन बहनों को अकेले पाला। चार बच्चों की सिंगल मदर के लिए यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने बच्चों की परवरिश के लिए कड़ी मेहनत की।हरदीप गिल की मां ने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया। वे सुबह जल्दी उठकर खेतों में मजदूरी और दोपहर में एक स्कूल में मिड-डे मिल वर्कर काम करतीं। उन्हें 800 रुपये महीना मिलते थे, जिससे परिवार का खर्चा चलता था। उनके पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा भी है, जिससे ज्यादा कुछ नहीं मिलता। जैसे-तैसे उन्होंने गांव के स्कूल में हरदीप का दाखिला कराया।खराब आर्थिक स्थिति ने छोटी-सी उम्र में ही हरदीप को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया था। उन्होंने मां के साथ खेतों में जाना शुरू कर दिया। वे दिन में खेतों में काम करते और दोपहर के बाद पढ़ाई करते। उन्होंने गांव के स्कूल से ही 10वीं और 12वीं क्लास तक पढ़ाई पूरी की।12वीं क्लास के बाद हरदीप के सिर सेना में जाने का जुनून सवार हो गया। उन्होंने इंडियन एयर फोर्स (IAF) एयरमैन की नौकरी के लिए अप्लाई किया। लेकिन चयन प्रक्रिया के दौरान छोटी-छोटी कमियों के चलते सेलेक्शन नहीं हो पाया। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।   मैंने उन कमियों को ठीक किया और फिर से कोशिश की। जब एयरमैन पद के लिए करीब 3000 युवाओं का सेलेक्शन हुआ तो मैं ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 59वें नंबर पर था। तभी अग्निपथ योजना के चलते सबकुछ बदल गया और ज्वॉइनिंग लेटर नहीं आया।’

निराश-हताश हरदीप ने आगे की पढ़ाई IGNOU से करने का मन बनाया, फिर भी उनका एक लक्ष्य था सेना में जाने का। IGNOU से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने फिर से कोशिश की। उन्होंने कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) एग्जाम दिया। हरदीप 9वीं बार में सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (SSB) एग्जाम में सफल हुए।

ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 54वां स्थान पाकर साल 2024 में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में शामिल हुए। दिसंबर 2025 में अपनी गर्वित मां की मौजूदगी में पासिंग आउट परेड में मार्च किया। लेफ्टिनेंट हरदीप गिल सिख लाइट इन्फैंट्री की 14वीं बटालियन में शामिल होंगे। लेफ्टिनेंट हरदीप की कहानी कड़ी मेहनत, लगन और अपनी काबिलियत पर विश्वास की कहानी है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button