बिलासपुर. छत्तीसगढ़ की रसोई की पहचान उसके पारंपरिक स्वाद और घरेलू पकवानों से होती है. ठंड के मौसम में यहां के गांवों में चावल से बने व्यंजन खास तौर पर बनाए जाते हैं. इन्हीं में से एक है गरमागरम चावल की भजिया, जो न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि सुबह के नाश्ते में पूरे परिवार को लुभा लेती है. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि इस भजिया को बनाना जितना आसान है, इसका स्वाद उतना ही लाजवाब होता है.
चावल को एक दिन पहले किया जाता है तैयार
बिलासपुर की रहने वालीं अन्नू बंदे लोकल 18 को बताती हैं कि भजिया बनाने के लिए चावल को एक दिन पहले भिगोकर रखा जाता है. सुबह के समय भीगे हुए चावल को मिक्सी में बारीक पीस लिया जाता है.
घोल को फेंटकर डाले जाते हैं मसाले
उन्होंने बताया कि पीसे हुए चावल के घोल में नमक, मिर्च और अन्य मसाले डालकर उसे अच्छे से फेंट लिया जाता है. यह मिश्रण जितना फूला और मुलायम होगा, भजिया उतनी ही कुरकुरी और स्वादिष्ट बनेगी
तेल में सुनहरा होने तक तला जाता है भजिया
उन्होंने आगे बताया कि कड़ाही में तेल को अच्छी तरह गर्म किया जाता है. जब तेल पर्याप्त गर्म हो जाए, तो तैयार घोल को हाथों से गोल-गोल आकार में डाल दिया जाता है. लगभग 5 से 7 मिनट तक इसे सुनहरा होने तक तला जाता है.
ठंड में सुबह के नाश्ते की पहली पसंद
अन्नू कहती हैं कि सुनहरे भजिया को बाहर निकालकर टमाटर की चटनी या अचार के साथ परोसा जाता है. यह ठंड के दिनों में खाने में बेहद स्वादिष्ट लगती है और शरीर को गर्मी भी देती है.गांवों में चावल के बने व्यंजन की परंपरा
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के गांवों में चावल से बने कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. इन सभी में चावल की भजिया का अपना खास स्थान है, जो पीढ़ियों से हर सर्दी में परिवारों की रसोई की रौनक बढ़ाती आ रही है.





