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दुर्ग में पहली बार गांधी शिल्प बाजार का आयोजन, यहां दिखेंगी बांस, गोदना, जूट, खादी और मृद्भांड जैसी पारंपरिक कलाएं

दुर्ग। दुर्ग जिले में पहली बार गांधी शिल्प बाजार-हस्तशिल्प प्रदर्शनी और बिक्री मेला का आयोजन किया गया है। इसका उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना और कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत की भावना को साकार करते हुए कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच एक सेतु का काम कर रहा है। गोंडवाना भवन, सिविल लाइन दुर्ग में आयोजित यह प्रदर्शनी 12 अक्टूबर से 18 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। यह रोजाना सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक खुली रहेगी। प्रदर्शनी में देश के 8 राज्यों से आए लगभग 45 स्टॉलों पर पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है। छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पांडे ने

प्रदर्शनी में बांस कला, गोदना प्रिंट, जूट क्राफ्ट, मृद्भांड, हैंडलूम, खादी वस्त्र और हर्बल उत्पादों जैसी विविध कलाएं शामिल हैं। खादी ग्राम उद्योग के असिस्टेंट डायरेक्टर मनोज राठी ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से दुर्ग में पहली बार ऐसा आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहल का लक्ष्य ग्रामीण और शहरी हस्त शिल्पकारों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां वे सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें और अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेच सकें। अंबिकापुर जिले के लखनपुर क्षेत्र की शिल्पकार दिलबसिया पावले ने अपनी अनूठी गोदना प्रिंट कला से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि वे 40 वर्ष की आयु से इस कला को कर रही हैं और पूरी तरह हर्बल रंगों का उपयोग कर कपड़ों, चादरों, साडिय़ों और रुमालों पर कलाकृतियां बनाती हैं। दिलबसिया पावले ने कहा, मैं अशिक्षित हूं, लेकिन माता-पिता से सीखी यह कला अब मेरे पूरे परिवार के लिए रोजगार का जरिया बन गई है।

आत्मनिर्भर बनने का मौका
उन्होंने कहा कि इस कला ने मुझे देश के कई राज्यों में प्रदर्शनी लगाने और प्रशिक्षण देने का अवसर दिलाया है। ऐसे आयोजनों से कारीगरों को अपने हुनर को प्रदर्शित करने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है। उन्होंने जोर दिया कि हम जैसे कलाकारों के लिए यह मंच बहुत जरूरी है। इससे हमारे उत्पादों को पहचान और बाजार दोनों मिलते हैं।

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केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल
छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पांडे ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल के तहत ऐसे आयोजनों से पारंपरिक कारीगरों को बल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि राज्यभर के शिल्पकारों को उनके उत्पादों के लिए स्थायी बाजार मिले। यह मेला उसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है। उन्होंने बताया कि दुर्ग में 45 स्टॉल लगाए गए हैं, जबकि जल्द ही भिलाई में 70 स्टॉलों की प्रदर्शनी लगाने की योजना है। इसके बाद राज्य स्तरीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी के आयोजन की भी तैयारी की जा रही है, जिसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग अपेक्षित है

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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