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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के भूगोल वाले बयान पर बोली पाकिस्तान की सेना

पाकिस्तानी सेना के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) ने अपने बयान में भारत के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि जहां तक पाकिस्तान को “नक़्शे से मिटाने की मंशा” है तो भारत ये साफ़ तौर पर जान ले कि “अगर ऐसे हालात आए तो दोनों तरफ़ नुक़सान होगा.”

भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को राजस्थान में कहा था कि अगर पाकिस्तान को इतिहास और भूगोल में रहना है तो उसे ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ को रोकना होगा.

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर क्रीक मामले में और वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के बारे में बयान दिया था.

भारत के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के बयानों के बाद पाकिस्तानी सेना के बयान में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से “अवास्तविक, उत्तेजक और युद्धोन्मादी बयानों” से वो बेहद चिंतित है.

अप्रैल 2025 में कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद छह-सात मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कैंपों को भारतीय सेना ने निशाना बनाया. इस अभियान को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया.

इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ. 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति की घोषणा के बाद संघर्ष रुका.

भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शुक्रवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर में अनूपगढ़ के फ़ॉरवर्ड एरिया में सेना की तैयारियों का ज़ायजा लेने पहुंचे थे.

उन्होंने यहां सेना के ऑपरेशन की तैयारियों की समीक्षा के बाद सैनिकों से कहा कि वो पूरी तरह तैयार रहें.

उन्होंने कहा, ”ऑपरेशन सिंदूर 1.0 के दौरान भारत ने संयम दिखाया था लेकिन अगर दोबारा ऐसी नौबत आती है तो देखना ये है कि हमारी तैयारी कितनी है.”

सेना प्रमुख ने कहा, ”अगर इस बार ऑपरेशन सिंदूर जैसी स्थिति आती है तो भारत पूरी तैयारी के साथ है. इस बार भारत वो संयम नहीं रखेगा जो ऑपरेशन 1.0 में रखा गया था.”

उन्होंने कहा, ”इस बार हम आगे की कार्रवाई करेंगे और हो सकता है कि ऐसी कार्रवाई करें कि पाकिस्तान को सोचना पड़े कि उसे इतिहास में, भूगोल में रहना है कि नहीं रहना है.”

भारतीय सेना प्रमुख ने कहा, ”अगर उसे भूगोल में अपनी जगह बनानी है तो इसके लिए उसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोकना होगा.

उन्होंने कहा, ”अपनी पूरी तैयारी रखिए. अगर परवरदिगार चाहेंगे, भगवान चाहेंगे, वाहे गुरु चाहेंगे तो जल्दी ही आपको मौक़ा मिलेगा.”

उन्होंने कहा, ”ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने नौ ‘आतंकवादी टारगेट’ चिह्नित किए थे. साथ ही ये तय किए थे कि इसमें कोई बेकसूर आदमी नहीं मारा जाना चाहिए. किसी मिलिट्री टारगेट को भी निशाना बनाने का इरादा नहीं था.”

उन्होंने कहा, ”हम सिर्फ़ आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करना चाहते थे. ख़ासकर उन लोगों को जो आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे रहे थे और उनके आका थे.”

उन्होंने कहा, ”इस बार हमने हर टारगेट को ध्वस्त करने का सबूत भी पूरी दुनिया को दिखाया. पहले पाकिस्तान इसे छिपा ले जाता था.”

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, ”इस हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या बहुत ज़्यादा थी.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 अक्तूबर को कहा था कि पाकिस्तान सर क्रीक के नज़दीकी इलाक़ों में सैन्य ढांचे विकसित कर रहा है.

गुजरात के कच्छ में एक सैन्य अड्डे पर आयोजित शस्त्र पूजा में शामिल होने पहुंचे राजनाथ सिंह ने कहा था कि आज़ादी के 78 साल हो चुके हैं इसके बावजूद सर क्रीक क्षेत्र में सीमा विवाद को हवा दी जा रही है.

उन्होंने कहा था, ”पाकिस्तानी सेना ने जिस तरह से सर क्रीक से सटे इलाक़ों में अपने सैन्य ढांचों का विस्तार किया है, वो उसकी मंशा को दर्शाता है. अगर पाकिस्तान की ओर से इस क्षेत्र में किसी तरह के दुस्साहस की कोशिश की जाती है तो उसका इतना निर्णायक जवाब दिया जाएगा कि ‘इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे’.”

भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक के बंटवारे पर कई दशकों से तकरार जारी है. यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत और भारत के गुजरात राज्य के बीच स्थित 96 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का इलाक़ा है, जिस पर दोनों ही देशों के अपने-अपने दावे हैं.

सर क्रीक भारत और पाकिस्तान के बीच एक पतली और दलदली खाड़ी है, जो अरब सागर से जुड़ी है. पहले इसका नाम बन गंगा था.

फिर ब्रिटिशकाल में इसका नाम ‘सर क्रीक’ पड़ गया. ये हिस्सा भी तभी से यानी ब्रिटिश काल से विवादों के गिरफ़्त में है. भारत और पाकिस्तान इस समुद्री सीमा को अलग तरह से देखते हैं.

भारत कहता है कि सीमा खाड़ी के बीच से तय होनी चाहिए, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि सीमा उनके किनारे से मानी जाए, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने साल 1914 में इसे नॉन नैविगेबल (यानी जहां जहाज़ नहीं चल सकते) मानते हुए तय किया था.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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