कैडर के 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी जितेंद्र शुक्ला को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में ग्रुप कमांडर नियुक्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से इसकी जानकारी राज्य सरकार को भेज दी गई है, साथी ही पत्र भेजकर तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा है। बता दें कि ग्रुप कमांडर का पद पुलिस अधीक्षक SP स्तर के समकक्ष माना जाता है।
: इन जिलों में रहे एसपी
आईपीएस जितेंद्र शुक्ला ने कई महत्वपूर्ण जिलों में एसपी रहते हुए अपनी मजबूत पहचान बनाई है। नक्सल प्रभावित इलाकों में उनकी भूमिका खास तौर पर अहम रही है और उन्होंने कई प्रभावी ऑपरेशनों का नेतृत्व किया। वे सुकमा, राजनांदगांव, कोरबा और महासमुंद जैसे संवेदनशील जिलों में पुलिस अधीक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं।
नक्सल विरोधी अभियानों को दी मजबूती
2 सितंबर 2013 को आईपीएस सेवा में शामिल होने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर आवंटित किया गया। प्रशिक्षण अवधि के दौरान उन्होंने बिलासपुर और कोटा थाने में थाना प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद अंबिकापुर में सीएसपी बनाए गए और फिर सुकमा जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई। सुकमा में ही उन्होंने आगे चलकर एसपी के रूप में कार्यभार संभालते हुए जिले की कानून-व्यवस्था और नक्सल विरोधी अभियानों को मजबूती दी।
जितेंद्र शुक्ला का जन्म 22 सितंबर 1983 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था, उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज से स्कूली शिक्षा पूरी की थी, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। जिसके बाद उन्होंने आईपीएस परीक्षा पास की थी. जितेंद्र शुक्ला को अब केंद्र सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी दी है।
क्या है एनएसजी
बता दें कि एनएसजी का गठन साल 1986 में देश में आतंकवाद-विरोधी किसी भी अभियान को रोकने के लिए किया गया था। हालांकि इसका इस्तेमाल तभी किया जाता है जब आतंकवादी हमला बेहद गंभीर होता है। देश के प्रधानमंत्री के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एनएसजी ही निभाता है, जबकि देश के अन्य बड़े वीवीआई की सुरक्षा भी यही करते हैं। एनएसजी जीरो एरर पर काम करता है, जिसमें गलती की कोई गुंजाइश होती ही नहीं है। जितेंद्र शुक्ला को इसी में जिम्मेदारी दी गई है।





