बुधवार रात जबलपुर में दिल्ली से आई सीबीआई की टीम ने जीआईएफ फैक्ट्री में छापामार कार्रवाई की। जानकारी के मुताबिक, फैक्ट्री में पदस्थ डीजीएम दीपक लांबा ने महाराष्ट्र में पोस्टिंग के दौरान ठेकेदार से मिलकर बड़ा भ्रष्टाचार किया था। इसी आरोप में सीबीआई द्वारा यह कार्रवाई की गई। सीबीआई ने उपप्रबंधन से पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया और अपने साथ ले गई। हालांकि, सीबीआई की इस बड़ी कार्रवाई के बाद अन्य केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में भी हड़कंप मच गया है।
अब यह भी शंका जताई जा रही है कि दीपक लांबा जहां-जहां पदस्थ रहे हैं, उन जगहों पर भी फर्जीवाड़ा हो सकता है। इसीलिए उनकी भी जांच की जा सकती है। इससे पहले जीआईएफ में पदस्थ एक और अधिकारी के खिलाफ सीबीआई द्वारा कार्रवाई की गई थी। दरअसल, मामला नागपुर का था। नागपुर के अंबाझरी फैक्ट्री में निजी फर्म को ठेके में फर्जीवाड़ा किया गया था।
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जबलपुर में पदस्थ होने से पहले दीपक लांबा अंबाझरी फैक्ट्री में डीजीएम थे। अब आरोप है कि अंबाझरी में डीजीएम रहते हुए लांबा ने अपने पद का दुरुपयोग किया और फर्जीवाड़ा करते हुए निजी फर्म के ठेके में लाभ पहुंचाया। आरोप है कि दीपक लांबा ने लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा किया। इस मामले को लेकर सीबीआई की टीम लगातार जांच कर रही थी। इसी सिलसिले में सीबीआई की टीम ने दीपक लांबा को एक गोपनीय स्थान पर ले जाकर पूछताछ की। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि सीबीआई द्वारा दीपक लांबा की गिरफ्तारी हुई है या नहीं।
छापे में आपत्तिजनक अभिलेख बरामद हुए
बता दें कि नागपुर स्थित यंत्र इंडिया लिमिटेड के उपमुख्य सतर्कता अधिकारी डी.के.टी. गुप्ता ने सीबीआई से इस मामले में शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद ही डीजीएम लांबा, ऑटोमेशन इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल सर्विसेज और इस फर्म के संचालक मोहित ठोलिया पर 25 अगस्त को एफआईआर दर्ज की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई छापे में आपत्तिजनक अभिलेख बरामद हुए हैं और कुछ डिजिटल सबूत भी मिले हैं। इसके साथ ही निजी फर्म के बैंक खातों की जांच में लांबा और उसके परिवार के बैंक खातों में लेनदेन का भी पता चला है।