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भिलाई में दिखा छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल की कला का संगम, गीत वितान कला केन्द्र ने एक मंच किया आयोजन

हरेली एवं वर्षा मंगल सांस्कृतिक कार्यक्रम, परंपरागत गीत संगीत ने दर्शकों का मन मोहा

भिलाई। गीत वितान कला केंद्र द्वारा कला मंदिर सभागृह में ‘हरेली एवं वर्षा मंगल’ सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की लोकसंस्कृति का अद्वितीय संगम एक ही मंच पर देखने को मिला। इस आयोजन में दोनों राज्यों की परंपराएं, संगीत, नृत्य और लोक जीवन की विविध रंगतें एक साथ सजीव हुईं, जिसने दर्शकों को समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव से अभिभूत कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा रहीं।विशिष्ट अतिथि के रूप में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पांडे, बीएसपी के निदेशक अजय चक्रवर्ती, विपिन कुमार गिरि, दुर्ग महापौर अल्का बाघमार, सांसद विजय बघेल, विधायक ललित चंद्राकर, जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक, पुलिस अधीक्षक, सीआईडी नरेंद्र कुमार सिक्केवाल, CAIT महिला इकाई, दुर्ग अध्यक्ष पायल जैन आदि उपस्थित रहे।  कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा पारंपरिक कृषि औजार पूजन एवं वृक्षारोपण से किया गया। इसके उपरांत मां सरस्वती एवं गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण कर सांस्कृतिक सत्र की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का स्वागत भाषण मुख्य संयोजक श्री नरेंद्र कुमार बंछोर द्वारा दिया गया।

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संस्था की ओर से सभी अतिथियों को पारंपरिक हरे वस्त्र एवं स्मृति चिन्हस्वरूप पौधे भेंट किए गए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ एवं बंगाल की लोकसंस्कृति पर कार्य कर रहे 16 विशिष्ट व्यक्तियों एवं संस्थाओं को मंच पर मानपत्र एवं उत्तरी पहनाकर सम्मानित किया गया। सम्मानित प्रतिभाओं में पदमश्री आर.एस. बारले, रिखी छत्री, रेणू साहू, सोनी त्रिपाठी, विश्वजीत सरकार, शर्मिष्ठा नंदी, ममता सेन, सोमा बोस, बंगीय साहित्य संस्था, मुक्तकंठ साहित्य समिति आदि शामिल रहे।

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कार्यक्रम का सांस्कृतिक प्रारंभ रवींद्र नाट्यम “वृक्षारोपण” पर आधारित वर्षा मंगल नृत्य नाटिका से हुआ, जिसमें “आहोबान आसीलो  महोत्शबे , “एसो श्यामलो सुन्दरो”, “बज्र माणिक दिए गाथा” जैसे रवींद्र संगीत प्रस्तुत  एवं रविंद्र नाट्यम हृदय मंदिरो डमरू, तपेर  तापेर  बाधोन   काटूके प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ी गीतों “सावन आगे आगे”, “झिमिर झिमिर बरसे पानी”, “मोर खेती खार “रुमझुम” पर भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ दी गईं।

संगीत संयोजन में चंद्रा बनर्जी (हारमोनियम), रूद्र प्रसन्न जेना (तबला), हर्ष सोनटके (की-बोर्ड), डेनिल कोसरिया एवं प्रशांत पांडा (गिटार) की संगति रही। इस दौरान चित्रकला विभाग के कलाकारों ने प्रकृति विषयक सजीव चित्रांकन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा नृत्य मणि मिथुन दास के निर्देशन में तैयार की गई थी, वहीं रजनी रजक एवं राजेन्द्र चौहान के निर्देशन में हरेली गीत-नृत्य प्रस्तुत किए गए। आलेख पाठ जॉली चक्रवर्ती एवं सुपर्णा चक्रवर्ती द्वारा किया गया, मंच संचालन रचना श्रीवास्तव (हिंदी) एवं ममता राव (छत्तीसगढ़ी) ने संभाला।

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संयोजक मनोज कुमार ठाकरे एवं प्रदीप कुमार मित्रा को संस्था की ओर से सम्मानित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में गोविंद पाल एवं डॉ. अजय आर्य उपस्थित थे। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम को संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन तथा बैंक ऑफ़ बड़ौदा, भिलाई शाखा का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में सोमेन कुंडू,  सोमेंशवर राव, गौतम शील, शीबेन हालदार, जयश्री मजूमदार,  पुरूषोतम  जित,  रितविक लहरी,  प्रशांत क्षीरसागर, नीता चौरसिया, सुधेंदु बागची, सौरभ चक्रवर्ती, श्यामा दासगुप्ता, संतोष जाटव, कृष्णा दास, रजनी सोनी, राजील वर्मा एवं सभी सदस्य गण का योगदान रहा। अंत में मिथुन दास द्वारा सभी आगंतुकों और सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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