नई दिल्ली (एजेंसी)। बिहार की मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर तगड़ा हमला बोला है। इस बीच चुनाव अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह समावेशी है। इसमें कुछ समाहित किया गया है इसे लेकर लगाए जा रहे सभी आरोप बेबुनियाद और बेतुके हैं।
दरअसल, विपक्ष ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग पर हमला तेज कर दिया है। उनका कहना है कि इससे करोड़ों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को बिहार में मतदाता सूची संसोधन या गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।

विपक्षी दलों कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के नेताओं ने मामले में मिलकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कई अन्य याचिकाएं भी इस साल के अंत में बिहार में होने वाले चुनावों से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।

गणना फॉर्म 7.69 करोड़ या 97.42 प्रतिशत मतदाताओं को बांटे गए
शीर्ष अदालत में सुनवाई से पहले चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि पुनरीक्षण प्रक्रिया सभी को शामिल करने वाली है। यह बिहार के मौजूदा 7,89,69,844 मतदाताओं तक पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि मतदाता का नाम, पता, पुरानी फोटो आदि विवरण के साथ पहले से भरे हुए गणना फॉर्म हर मौजूदा मतदाता को उपलब्ध कराए गए हैं। पहले से भरे हुए गणना फॉर्म 7.69 करोड़ या 97.42 प्रतिशत मतदाताओं को बांटे गए हैं। बूथ स्तर के अधिकारी भरे हुए गणना फॉर्म एकत्र करने के लिए हर घर में कम से कम तीन बार जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति छूट न जाए।
पहला चरण पूरा हो चुका है, दूसरा चरण चल रहा
उन्होंने बताया कि पहला चरण पूरा हो चुका है, दूसरा चरण चल रहा है। कई मतदाताओं का निधन हो चुका है या वे स्थानांतरित हो गए हैं या पलायन कर गए हैं। गणना फॉर्म जमा करने वाले सभी लोगों को 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी उन सभी मतदाताओं को शामिल करके मसौदा मतदाता सूची तैयार करेंगे, जिनके गणना फॉर्म 25 जुलाई से पहले प्राप्त हुए हैं।
पात्रता दस्तावेज अलग से भी जमा किए जा सकते हैं
उन्होंने जोर दिया कि 1 सितंबर को समाप्त होने वाली दावों और आपत्तियों की अवधि के दौरान पात्रता दस्तावेज अलग से भी जमा किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मतदाता की पात्रता संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार है, जिसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 के साथ पढ़ा जाए।
पूरी प्रक्रिया को समझिए…
-वह व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, 18 वर्ष से कम आयु का नहीं है, निर्वाचन क्षेत्र का निवासी है और किसी भी कानून के तहत अयोग्य नहीं है तो वह मतदाता सूची में शामिल होने के लिए पात्र है।
-मतदाता सूची से नाम तभी कटेगा, जब जांच के बाद ईआरओ ऐसा फैसला करेंगे। यह फैसला भी डीएम या सीईओ के समक्ष अपील योग्य है।
-ड्राफ्ट रोल के प्रकाशन के बाद ईआरओ प्रस्तावित मतदाताओं की पात्रता की जांच करेगा। दस्तावेजों और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचेगा।
-किसी भी मतदाता की पात्रता को लेकर किसी भी संदेह की स्थिति में ईआरओ नोटिस देगा और अपना पक्ष रखने का मौका देगा।
-ईआरओ के निर्णय से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति डीएम के समक्ष अपील कर सकता है।
-वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के अनुसार डीएम के आदेश के विरुद्ध सीईओ के समक्ष दोबारा अपील कर सकता है।
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