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चीन ने पाकिस्तानी बांध को तेजी से बनाने के लिए दिए आदेश, भारत के सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के बाद फैसला, क‍िया ऐलान

इस्लामाबाद: भारत के सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के फैसले के बाद चीन ने पाकिस्तानी बांधों के निर्माण का काम तेज करने के आदेश दे दिए हैं। चीन की तरफ से घोषणा की गई है कि भारत की पानी आपूर्ति बंद करने के फैसले के बाद चीन ने पाकिस्तान में एक ‘फ्लैगशिप’ बांध पर काम तेज कर दिया है। आपको बता दें कि चीन की सरकारी स्वामित्व वाली चाइना एनर्जी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन 2019 से उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में ‘मोहम्मद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट’ पर काम कर रही है। साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रोजेक्ट अगले साल पूरा होने वाला था, लेकिन अब इसे और तेज कर दिया गया है। शनिवार को चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने कहा है कि “बांध पर कंक्रीट भरने का काम शुरू हो गया है, जो पाकिस्तान की इस नेशनल फ्लैगशिप परियोजना के लिए मील का पत्थर और फौरन डेवलपमेंटेल फेज का हिस्सा है।सस्पेंड कर दिया था, जिसके बाद चीन की तरफ से पाकिस्तान में बांध निर्माण के काम को तेजी से पूरा करने के आदेश जारी किए गये हैं। आपको बता दें कि सिंधु जल संधि सस्पेंड होने के बाद पाकिस्तान की तरफ लगातार भारत की गीदड़भभकी दी जा रही है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान अपनी 80 प्रतिशत से ज्यादा खेती के लिए सिंधु नदी जल सिस्टम पर निर्भर है। भारत ने कहा है कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं।’ जबकि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के भारत के फैसले को ‘एक्ट ऑफ वॉर’ कहा है।पाकिस्तानी बांध को तेजी से बनाएगा चीन
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत, पिछले महीने हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध के तहत सिंधु नदी से अपने द्वारा निकाले जाने वाले पानी में नाटकीय रूप से वृद्धि करने की योजना पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर परियोजनाओं की योजना और निष्पादन में तेजी लाने का आदेश दिए हैं। 1960 की सिंधु जल संधि के तहत, पाकिस्तान को सिंधु और इसकी सबसे पश्चिमी सहायक नदियों, झेलम और चेनाब के पानी पर अधिकार है, जबकि भारत को पूर्वी रावी, सतलुज और व्यास नदियों के पानी का उपयोग करने का अधिकार है। भारत के बांधों के विशाल नेटवर्क में भाखड़ा नांगल भी शामिल है, जो सिंधु जल संधि के अधीन आने वाले नदियों पर सबसे बड़ा बांध है।दूसरी तरफ पाकिस्तान फुड प्रोडक्शन सिस्टम पूरी तरह से सिंधु नदी पर निर्भर है और 2022 में पाकिस्तान भयानक बाढ़ में फंस गया था, लिहाजा उसे फिर से बाढ़ में फंसने का गंभीर खतरा सता रहा है। इसी से निपटने के लिए खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मोहमंद बांध को बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए एक बहुउद्देश्यीय सुविधा के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अनुमानित 800 मेगावाट जलविद्युत उत्पन्न करेगा और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी और सबसे बड़े शहर पेशावर को प्रतिदिन 300 मिलियन गैलन पेयजल की आपूर्ति करेगा। चीन और पाकिस्तान के बीच सात दशकों से भी ज्यादा समय से कूटनीतिक साझेदारी है और बीजिंग ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश किया है, जो इसके बेल्ट एंड रोड पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीन की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में डायमर-भाषा बांध भी शामिल है, जो सिंधु नदी पर निर्माणाधीन है और इसका उद्देश्य पाकिस्तान की जल भंडारण क्षमता में सुधार करना है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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