रायबरेली: रबी की फसल की कटाई का सीजन शुरू हो गया है. इसके बाद किसानों के खेत खाली हो जाएंगे. ऐसे में किसान गर्मी के मौसम में होने वाली फसलों की बुवाई करते हैं. इन फसलों में प्रमुख रूप से मूंग, उड़द के साथ ही कद्दुवर्गीय फसलों में लौकी, तुरई, करेला, खरबूजा, तरबूज, खीरा की खेती की जाती है. इस खेती से किसान तगड़ी कमाई करते हैं.
आपको बता दें कि किसान मार्च माह में खरबूजे की बुवाई करते हैं. इस दौरान किसानों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे उन्हें किसी प्रकार के नुकसान का सामना न करना पड़े, तो आइए उद्यान विशेषज्ञ से जानते हैं कि खरबूजे की खेती करने वाले किसान बुवाई के दौरान किन बातों का ध्यान रखें.उन्होंने बताया कि आलू, सरसों की फसल कटाई के बाद किसान खरबूजे की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. क्योंकि यह एक ऐसी फसल है, जो बेहद कम समय में तैयार होकर अच्छा मुनाफा देती है. उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में बाजारों में खरबूजे की मांग बढ़ जाती है, जिससे यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा देती है. इसीलिए यह किसानों के लिए मुनाफे वाली फसल मानी जाती है.
इन बातों का रखें ध्यान: नरेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक खरबूजे की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान कुछ जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखें. इससे किसानों की तगड़ी कमाई हो सकती है.
1- जलवायु और भूमि चयन
नरेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक खरबूजे की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर रहती है. खेत में पानी ठहरने से पौधों को नुकसान हो सकता है. इसलिए उचित ढलान और निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
उन्नत किस्मों का चयन
2- अर्का जीत, पूसा मधुर, सागर, दुर्गा, एमएच-27 यह प्रजातियां उन्नत किस्म की प्रजातियां मानी जाती हैं. इससे किसानों की आमदनी बढ़िया हो सकती है.
बुवाई का समय और विधि
3- बुवाई का सही समय फरवरी से अप्रैल के बीच होता है. बीजों को 1-1.5 सेमी गहराई में बोएं और पौधों के बीच 60-90 सेमी की दूरी रखें. प्रति एकड़ 1.5-2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
खाद और उर्वरक प्रबंधन
4- बुवाई से पहले खेत में 20-25 टन गोबर की खाद डालें. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा (50:40:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर) दें. इसमें ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन से पोषक तत्वों की आपूर्ति बेहतर होती है.
सिंचाई और जल प्रबंधन
5- खरबूजे की फसल को नियमित लेकिन हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है,ज्यादा पानी देने से जड़ों में सड़न हो सकती है, इसलिए सावधानी रखें.
खरपतवार नियंत्रण और देखभाल
6- समय-समय पर खेत की गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न बढ़ें,मल्चिंग का उपयोग करने से नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नियंत्रित होते हैं.
रोग और कीट नियंत्रण
7- प्रमुख रोग: गूंठी रोग, पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू,
कीट: लाल मकड़ी, फल छेदक कीट, एफिड्स
जैविक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग करें. ट्राइकोडर्मा और नीम तेल का छिड़काव प्रभावी हो सकता है.
8. फसल कटाई और भंडारण: बुवाई के 80-100 दिन बाद फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं.