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गौतम अडानी धोखाधड़ी मामले में हुए बरी, इस खुशखबरी से खूब दौड़े अडानी समूह के शेयर

नई दिल्ली. अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और उनके भाई राजेश अडानी को धोखाधड़ी के एक मामले में बोम्‍बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के शेयर की कीमतों में कथित हेरफेर से जुड़े एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडानी बंधुओं को बरी कर दिया है. यह मामला सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) द्वारा दर्ज किया गया था. सेशन कोर्ट ने अडानी बंधुओं ने कहा था कि SFIO की जांच में ‘प्रथम दृष्टया’ यह सामने आया है कि AEL के शेयरों में कथित हेरफेर के माध्यम से अडानी ग्रुप के प्रमोटरों ने 388.11 करोड़ रुपये और केतन पारेख ने 151.40 करोड़ रुपये का गैरकानूनी लाभ कमाया और अडानी बंधुओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं. इस फैसले के खिलाफ गौतम अडानी और राजेश अडानी ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट में अपील की थी.गौतम अडानी को बॉम्‍बे हाई कोर्ट से मिली राहत का समाचार आने के बाद आज अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी देखी गई. शुरुआती कारोबार में समूह के सभी 10 लिस्टेड शेयर हरे निशान में ट्रेड कर रहे थे. अडानी पोर्ट्स का शेयर एक फीसदी, अडानी एंटरप्राइजेज दो फीसदी, अडानी विल्‍मर 1.4 फीसदी , एनडीटीवी 1.4 फीसदी और अंबुजा सीमेंट्स 1.3 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार कर रहे थे.

क्या था मामला
सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने 2012 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) और इसके प्रमोटर्स गौतम अडानी और राजेश अडानी के खिलाफ मामला शुरू किया था. अडानी बंधुओं पर बाजार नियमों के उल्लंघन करके 388 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था. जांच निकाय ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए आरोपपत्र दाखिल किया था. सेशंस कोर्ट ने इस मामले में प्रथम दृष्‍टतया अडानी बंधुओं की संलिप्‍तता मानी और उन्‍हें मामले से बरी करने से मना करते हुए केस चलाने की इजाजत दे दी.गौतम और राजेश अडानी ने 2019 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की और सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करने की मांग की गई, जिसमें उन्हें मामले से बरी करने से इनकार कर दिया गया था. उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2019 में सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. इस रोक को समय-समय पर कई बार आगे बढ़ाया गया. सोमवार को बॉम्‍बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों को मामले से बरी कर दिया.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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