छत्तीसगढ़

चेक डैम ने बदली बोड़तराखूर्द की तकदीर,पानी का संकट हुआ दूर, खेतों में लहराई हरियाली*

*चेक डैम ने बदली बोड़तराखूर्द की तकदीर,पानी का संकट हुआ दूर, खेतों में लहराई हरियाली*

कवर्धा, अगस्त 2025। कबीरधाम जिले के विकासखण्ड पण्डरिया का छोटा-सा ग्राम बोड़तराखूर्द आज पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन गया है। वर्षों से पानी की समस्या से जूझते इस गांव में जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से चेक डैम का निर्माण हुआ तो न केवल जल संरक्षण की समस्या का समाधान हुआ बल्कि किसानों के जीवन में भी नई ऊर्जा का संचार हुआ।
ग्रामीणों का कहना है कि बरसों से बारिश का पानी नालों के सहारे बहकर व्यर्थ चला जाता था। खेत बंजर हो जाते और फसलें आधी-अधूरी रह जातीं। सिंचाई का कोई पक्का इंतज़ाम न होने के कारण गांव के किसान केवल बरसाती फसल पर ही निर्भर थे। लेकिन अब चेक डैम बनने से हालात बदल गए हैं। खेतों में पानी रुकने से लगभग 42 एकड़ भूमि सिंचित हो रही है। किसान अब डीज़ल पंप लगाकर भी आसानी से खेतों को पानी दे पा रहे हैं। गांव की प्यास जैसे एक साथ बुझ गई हो और हरियाली चारों ओर मुस्कुरा रही है।
योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो, तो एक छोटे से गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती हैं। बोड़तराखूर्द का यह चेक डैम सिर्फ मिट्टी और पत्थरों से बना बांध नहीं, बल्कि ग्रामीणों के सपनों को सींचने वाली जीवनरेखा बन चुका है।
बोड़तराखूर्द का चेक डैम आज पूरे कबीरधाम जिले के लिए प्रेरणादायी मॉडल बन गया है। जहां पहले पानी बहकर बर्बाद होता था, वहीं अब खेतों में हरियाली लहलहा रही है। ग्रामीणों को रोजगार, किसानों को सिंचाई का साधन और गांव को जल संरक्षण का स्थायी आधार मिला है।

*रोजगार और जल संरक्षण का संगम*

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से बोड़तराखूर्द में चेक डैम का निर्माण 19 लाख 97 हजार रुपए की लागत से कराया गया। निर्माण कार्य एक महीने चला, जिसमें ग्रामीणों को 2 लाख 29 हजार रुपए की मजदूरी मिली। सामग्री पर 17.68 लाख रुपए व्यय किए गए। यानी यह कार्य ग्रामीणों के लिए सिर्फ जल संरक्षण का साधन नहीं रहा बल्कि रोजगार और स्थायी परिसंपत्ति का भी जरिया बन गया।

*ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जल संरक्षण:-कलेक्टर*

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने चेक डैम निर्माण को लेकर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे जिले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह खेती-किसानी पर आधारित है। किसानों की तरक्की तभी संभव है जब जल संरक्षण के स्थायी उपाय किए जाएं। यही वजह है कि जल संरक्षण के कार्यों को हम प्राथमिकता में रख रहे हैं। बोड़तराखूर्द का चेक डैम इसका सशक्त उदाहरण है, जिसने भू-जल स्तर बढ़ाया है और सिंचाई के साधनों में वृद्धि की है। इसका सीधा लाभ हमारे किसानों को मिल रहा है। यह केवल पानी रोकने का काम नहीं बल्कि गांव के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

*मनरेगा बनी ग्रामीण विकास की धुरी बनी:-सीईओ*

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजना ग्रामीणों के लिए सिर्फ रोजगार देने का माध्यम नहीं, बल्कि आजीविका और स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण का प्रमुख जरिया बन चुकी है। बोड़तराखूर्द का चेक डैम इसी का उदाहरण है। अब किसान सालभर खेती कर सकेंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी। यह सिर्फ पानी रोकने का प्रकल्प नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान डालने वाला कदम साबित रहा है।
समाचार क्रमांक-875/ फ़ोटो क्रमांक 010203

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button