मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराब बंदी (Liquor Ban) की घोषणा से लोगों में खुशी है. विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Mandir Ujjain) के कारण उज्जैन में भी धर्मालु प्रसन्न हैं, लेकिन यहां एक नई बहस भी शुरू हो गई. वजह प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर (Shri Kaal Bhairav Temple Ujjain) में शराब के भोग की परंपरा है.
डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) की सरकार ने शुक्रवार को 17 धार्मिक शहरों में शराब बंद की घोषणा कर दी है. इसका पालन 1 अप्रैल से होगा और इस घोषणा से बीजेपी ने खुशी व्यक्त की है. कई गृहिणियां तथा अन्य लोग इसका स्वागत कर रहे हैं. लेकिन प्रसिद्ध काल भैरव पर श्रद्धालुओं द्वारा शराब का भोग लगाने ओर प्रसाद का सेवन करने की परंपरा ही ऐसे में सवाल उठ रहे है कि धार्मिक शहर में शराब बंदी तो लागू की जाएगी, लेकिन काल भैरव मंदिर में इस नियम को कैसे लागू किया जाएगा?
महाकाल के सेनापति है काल भैरव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव बाबा महाकाल के सेनापति है. महाकाल दर्शन से पहले काल भैरव मंदिर में दर्शन किए जाते हैं. भगवान काल भैरव को आदिकाल से ही शराब का भोग लगाकर सबके सामने पिलाई जाती है. यही वजह है कि मंदिर के पास दो शराब की दुकानें हैं, जहां से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु करीब 5 लाख रुपए की शराब लेते है.उज्जैन में शराब बंदी को लेकर सवाल उठ रहा है कि काल भैरव मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों को शराब चढ़ाने के लिए शराब कहां से मिलेगी? ऐसे में यहां शराब बंदी के आदेश को कैसे लागू किया जाएगा?
आबकारी नीति पर फैसला टिका
कलेक्टर नीरज सिंह ने इसे आबकारी नीति के तहत छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला अभी बाकी है और जब आदेश जारी होगा, तब काल भैरव मंदिर के आसपास शराब बंदी के आदेश पर विचार किया जाएगा.