नई दिल्ली। सनातन धर्म में माघ अमावस्या का विशेष महत्व है। माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इसके अलावा, सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भी मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं।
धार्मिक मत है कि मौनी अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप कट जाते हैं। साथ ही जीवन में अमोघ फल की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 Date) के दिन पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। आइए, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, माघ अमावस्या 28 जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 29 जनवरी को शाम यानी 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना होती है। इसके लिए 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।इस समय सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें। मौनी अमावस्या के दिन पूजा करने तक बोलने की मनाही होती है। अतः मौन व्रत धारण करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद सुविधा होने पर गंगा स्नान करें। इस समय बहती जलधारा में काले तिल प्रवाहित करें।सुविधा न होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले रंग के कपड़े पहनें। अब भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। इसके बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को अर्घ्य दें। साधक पीपल के पेड़ में भी जल का अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख और आय में वृद्धि की कामना करें। पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान कर मौन व्रत खोलें।
अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। जगन्नाथ डॉट कॉम यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। जगन्नाथ डॉट कॉम अंधविश्वास के खिलाफ है”।