भावनगर: गुजरात के भावनगर के किसानों ने ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की है और ज्यादा इनकम कमाने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं. उमराला तालुका के गोलरमा गांव के एक किसान, लालजीभाई शमजीभाई लुखी, जो सिर्फ चौथी तक पढ़े हैं, होर्टिकल्चर क्रॉप्स उगाकर 12 महीने इनकम कमा रहे हैं. यह किसान पहले कर्मदा की खेती करते थे, लेकिन अब उन्होंने मेहनत और इनोवेटिव आइडियाज से फार्मिंग को एक नए लेवल पर पहुंचाया है.
9 बीघा ज़मीन पर होर्टिकल्चर क्रॉप्स
लालजीभाई ने अपनी 9 बीघा ज़मीन पर आंवला, अमरूद, खारेक, मीठा इमली और खट्टी इमली जैसी क्रॉप्स को मिलाकर उगाया है. ये क्रॉप्स उन्होंने मिक्स्ड फार्मिंग के ज़रिए लगाए हैं, जो उनकी सॉल्टी और स्टिकी मिट्टी में भी अच्छे से उग रहे हैं. इनका कहना है कि कर्मदा खेती मेहनत-डिमांडिंग थी, इसलिए उसे छोड़कर होर्टिकल्चर क्रॉप्स पर फोकस किया.
हर साल 1.5 से 2 लाख रुपये प्रति बीघा की कमाई
उन्होंने बताया कि हर खारेक पेड़ से 180-200 किलोग्राम और आंवला पेड़ से लगभग 100 किलोग्राम हार्वेस्ट मिलेगा. जब सारी क्रॉप्स तैयार होंगी, तो 1.5 से 2 लाख रुपये प्रति बीघा की कमाई होगी
मिक्स्ड फार्मिंग का फायदा
यह क्रॉप्स उन्होंने कच्छ और अलग-अलग जगहों से लाए टिशू कल्चर प्लांट्स से उगाए हैं. टिशू कल्चर से इनकी क्वालिटी और यील्ड दोनों बेहतर हैं. पिछले साल खारेक का प्रोडक्शन शुरू हो गया था, और अब आंवला और अमरूद भी तैयार होने वाले हैं.
कम शिक्षा, बड़े सपने
लालजीभाई ने सिर्फ चौथी तक पढ़ाई की है, लेकिन उनकी सूझ-बूझ और मेहनत ने उन्हें बेस्ट फार्मर अवार्ड जीतने तक पहुंचाया. एक समय था जब उन्होंने फार्मिंग छोड़कर सूरत में काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब फार्मिंग में वापसी करके नए आइडियाज और तकनीकों से वह सफलता के नए रास्ते लिख रहे हैं.
पानी और मिट्टी की समस्या का हल
सॉल्टी और स्टिकी मिट्टी के बावजूद उन्होंने ऐसी क्रॉप्स उगाई हैं जो इन हालात में भी उगती हैं. फ्रेश वाटर की कमी के बावजूद, उनका यह इनोवेटिव फार्मिंग मॉडल बाकी किसानों के लिए एक प्रेरणा है.लालजीभाई की सीख
“लगन और सूझ-बूझ से फार्मिंग को एक प्रॉफिटेबल बिज़नेस बनाया जा सकता है,” लालजीभाई के शब्दों में यही है उनकी सफलता का मंत्र.