देश दुनिया

ट्रंप का ट्रैप तो नहीं अमेरिकी डील? भारत को रहना होगा अब ज्‍यादा सावधान, पीछे कुछ और हो सकती है स्क्रिप्‍ट

नई दिल्‍ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद की किरण दिखाई दी है। दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल्द ही समझौता होने की उम्मीद जताई है। नई दिल्ली के अधिकारियों का कहना है कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापारिक बातचीत बंद नहीं की है। बातचीत जारी रहेगी। इसे अक्टूबर या नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह टारगेट पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मिलकर तय किया था। यह भी उम्मीद है कि अमेरिका भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्‍त टैरिफ को हटा देगा। इससे भारतीय निर्यातकों को कुछ राहत मिलेगी। सरकार निर्यातकों के लिए राहत पैकेज पर भी काम कर रही है। लेकिन, अब अमेर‍िका के साथ डील को लेकर भारत को ज्‍यादा सावधान रहना होगा। इसके पीछे कुछ और भी मंशा हो सकती है। एक्‍सपर्ट्स ने इसकी आशंका जताई है।जानकारों का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है। सरकार ने भी इसके साफ संकेत दिए हैं। केंद्रीय वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के साथ सक्रिय तौर पर बातचीत कर रहा है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि भारत अमेरिका की डेयरी और कृषि क्षेत्रों को खोलने की मांग को कैसे पूरा करता है। ये क्षेत्र भारत के लिए व्यापार समझौतों में हमेशा से ही संवेदनशील रहे हैं।

भारत को सावधान रहने की सलाह

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्‍थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत को स्थिर रहना होगा। उन्होंने कहा कि जब भारत पर 25% का टैरिफ लगाया गया था तब भी बातचीत चल रही थी। उम्मीद थी कि इसे घटाकर 10% कर दिया जाएगा। लेकिन, ट्रंप ने रूसी तेल से जुड़े होने के कारण 25% का एक और जुर्माना लगा दिया। उनका कहना है कि जब तक अमेरिका इन टैरिफ को नहीं हटाता तब तक कोई भी व्यापारिक बातचीत आगे नहीं बढ़ सकती। कारण है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। अजय श्रीवास्तव का यह भी मानना है कि ट्रंप की मीठी बातें भारत को रूस और चीन के साथ अपने बहु-ध्रुवीय संबंधों को कमजोर करने के लिए एक चाल हो सकती है।एक पोस्ट में कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने बहुत अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी से आने वाले हफ्तों में बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हम दोनों महान देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।’ जवाब में पीएम मोदी ने भी विश्वास जताया कि व्यापारिक बातचीत भारत-अमेरिका की साझेदारी की असीम संभावनाओं को खोलेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं।’

भारत पर अमेर‍िका ने बना रखा है दबाव

दोनों नेताओं के ये बयान वाशिंगटन की ओर से नई दिल्ली पर अमेरिका के निर्यात पर टैरिफ कम करने और रूस से तेल की खरीद रोकने के लिए हफ्तों से बनाए जा रहे दबाव के बाद आए हैं। अमेरिका ने भारत पर सबसे ज्यादा 50% का टैरिफ लगाया है। इसमें रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए लगाया गया 25% का अतिरिक्‍त टैरिफ भी शामिल है। खबरों के अनुसार, अमेरिका ने यूरोपीय संघ से भी भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने के लिए कहा है। ये दोनों देश रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदते हैं। अमेरिका ऐसा रूस पर यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने का दबाव बनाने के लिए कर रहा है।

लंबे गत‍िरोध का भारत पर असर पड़ने की आशंका

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि एक लंबा गतिरोध भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। अमेरिका के कई नेताओं की हालिया टिप्पणियों को देखते हुए भारत पर और भी ‘जुर्माने’ लगाए जा सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से गहरे आर्थिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का बड़ा व्यापार होता है। अमेरिका के निवेशकों (एफपीआई और एफडीआई दोनों) का भारत में बहुत बड़ा निवेश है। अमेरिका की बहुत सारी कंपनियां भारत में काम कर रही हैं।’

हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत राजनीतिक संबंध नहीं रहे हैं। भारत ने गुटनिरपेक्ष रुख अपनाया है। फिर भी पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है। दोनों क्‍वाड का हिस्सा हैं। वहीं, अमेरिका ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान के साथ अधिक जुड़ा रहा है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button