धर्म

कभी आपने सोचा, आखिर प्रसाद में क्यों नहीं चढ़ाया जाता पपीता, आयुर्वेदाचार्य बता रहे हैं इसकी वजह

समस्तीपुर. हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का बहुत महत्व है. हर व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं के अनुसार पूजा-अर्चना करता है. इसमें विभिन्न देवताओं को फल और फूल चढ़ाना विशेष महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है इस तरह के चढ़ावे से भगवान प्रसन्न होते हैं, और भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं. फलों और फूलों की भेंट देवताओं को अधिक प्रसन्न करती है.

आमतौर पर प्रसाद के रूप में सेब, अंगूर, अनार और केले चढ़ाए जाते हैं. लेकिन क्या आपने ध्यान दिया पपीता और बड़हर प्रसाद देवी देवता को नहीं चढ़ाया जाता है. इसके पीछे आयुर्वेद में कई कारण बताए गए हैं. मुख्य कारण यह है कि अक्सर लोग जब प्रसाद ग्रहण करते हैं तो उस समय खाली पेट रहते हैं. खाली पेट बड़हर खाने से शरीर में एसिडिटी का स्तर बढ़ सकता है, जिससे गैस सहित कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं. यही कारण है कि बड़हर और पपीता जैसे कुछ फलों को पूजा-पाठ में शामिल नहीं किया जाता है.इसलिए पपीता और बड़हर वर्जित है
पपीता और बड़हर में ऐसे गुण होते हैं जो खाली पेट खाने से पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं. समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए अपने आहार विकल्पों के प्रति सचेत रहना महत्वपूर्ण है. पूजा पाठ में पपीता का भी उपयोग नहीं किया जाता है इसका मुख्य कार्य यह है कि खाली पेट पपीता खाने से शरीर के अंदर एंजाइम के पाचक रस काफी बढ़ जाते हैं. इससे शरीर में तरह-तरह की बीमारी का खतरा बन जाता है इसी वजह से पपीता और बड़हर का उपयोग पूजा पाठ में नहीं किया जाता है.

आयुर्वेदाचार्य की बात सुनिए
आयुर्वेद के क्षेत्र में पिछले एक दशक से अधिक समय से कार्य करने वाले आयुर्वेदाचार्य सह चिकित्सा पदाधिकारी रंजन कुमार ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया पूजा पाठ के दौरान प्रसाद के रूप में पपीता एवं बड़हर का उपयोग इसीलिए नहीं किया जाता है क्योंकि पपीता और बरहर खाली पेट खाना सेहत के लिए काफी हानिकारक माना जाता है. प्रसाद अक्सर लोग खाली पेट ही ग्रहण करते हैं. और खाली पेट पपीता का सेवन करने से शरीर के अंदर एंजाइम के पाचक रस काफी बढ़ जाते हैं. इससे पेट में दर्द सहित कई अन्य समस्या उत्पन्न हो जाती हैं. इसी प्रकार बड़हर भी खाली पेट खाने से ब्लड का पीएच वैल्यू बढ़ जाता है इससे शरीर के अंदर अम्लता अपने आप बढ़ जाती है जो कई तरह की बीमारी का कारण है.(Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी.  जगन्नाथ डॉट कॉम इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता

Manoj Mishra

Editor in Chief

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