समस्तीपुर. हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का बहुत महत्व है. हर व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं के अनुसार पूजा-अर्चना करता है. इसमें विभिन्न देवताओं को फल और फूल चढ़ाना विशेष महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है इस तरह के चढ़ावे से भगवान प्रसन्न होते हैं, और भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं. फलों और फूलों की भेंट देवताओं को अधिक प्रसन्न करती है.
आमतौर पर प्रसाद के रूप में सेब, अंगूर, अनार और केले चढ़ाए जाते हैं. लेकिन क्या आपने ध्यान दिया पपीता और बड़हर प्रसाद देवी देवता को नहीं चढ़ाया जाता है. इसके पीछे आयुर्वेद में कई कारण बताए गए हैं. मुख्य कारण यह है कि अक्सर लोग जब प्रसाद ग्रहण करते हैं तो उस समय खाली पेट रहते हैं. खाली पेट बड़हर खाने से शरीर में एसिडिटी का स्तर बढ़ सकता है, जिससे गैस सहित कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं. यही कारण है कि बड़हर और पपीता जैसे कुछ फलों को पूजा-पाठ में शामिल नहीं किया जाता है.इसलिए पपीता और बड़हर वर्जित है
पपीता और बड़हर में ऐसे गुण होते हैं जो खाली पेट खाने से पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं. समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए अपने आहार विकल्पों के प्रति सचेत रहना महत्वपूर्ण है. पूजा पाठ में पपीता का भी उपयोग नहीं किया जाता है इसका मुख्य कार्य यह है कि खाली पेट पपीता खाने से शरीर के अंदर एंजाइम के पाचक रस काफी बढ़ जाते हैं. इससे शरीर में तरह-तरह की बीमारी का खतरा बन जाता है इसी वजह से पपीता और बड़हर का उपयोग पूजा पाठ में नहीं किया जाता है.