भोपाल। मध्य प्रदेश के निर्वाचित पंच और सरपंचों ने राज्य की मोहन यादव सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। प्रदेशभर के हजारों पंच और सरपंच मंगलवार को राजधानी भोपाल पहुंचे। विभिन्न मांगों को लेकर लिंक नंबर दो स्थित सेकेंड स्टाप से मुख्यमंत्री निवास घेरने निकले पंच-सरपंच सड़क पर ही बैठ गए।
पंच-सरपंचों का प्रदर्शन: सीएम हाउस का घेराव करने पहुंचे 52 जिलों के पंच-सरपंच, बैरिकेड्स लगाकर पुलिस ने रोका
सरपंचों का कहना है कि प्रशासन को मालूम था कि पंच-सरपंच आज यहां आने वाले हैं। इसके बाद भी यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं की गई। हमारा यहां अपमान हो रहा है। कल से सभी पंचायतों में तालाबंदी रहेगी।
पंच-सरपंचों का प्रदर्शन: भोपाल। मध्य प्रदेश के निर्वाचित पंच और सरपंचों ने राज्य की मोहन यादव सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। प्रदेशभर के हजारों पंच और सरपंच मंगलवार को राजधानी भोपाल पहुंचे। विभिन्न मांगों को लेकर लिंक नंबर दो स्थित सेकेंड स्टाप से मुख्यमंत्री निवास घेरने निकले पंच-सरपंच सड़क पर ही बैठ गए।
सरपंचों का कहना है कि प्रशासन को मालूम था कि पंच-सरपंच आज यहां आने वाले हैं। इसके बाद भी यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं की गई। हमारा यहां अपमान हो रहा है। कल से सभी पंचायतों में तालाबंदी रहेगी।
इससे पहले सुबह सभी अंबेडकर मैदान में जमा हुए। पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल उन्हें मनाने पहुंचे थे। सरपंचों का कहना है कि प्रशासन को मालूम था कि पंच-सरपंच आज यहां आने वाले हैं। इसके बाद भी यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं की गई। हमारा यहां अपमान हो रहा है। कल से सभी पंचायतों में तालाबंदी रहेगी।
लिंक रोड नंबर दो स्थित अंबेडकर पार्क में सरपंचों के 3 गुटों ने संयुक्त रूप से सीएम हाउस घेराव का ऐलान किया था। सरपंचों से बात करने पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल भी पहुंचे। लेकिन, सरपंच मंत्री की बात से सहमत नहीं हुए। इसके बाद वे सीएम हाउस घेराव के लिए निकल पड़े। सरपंच जैसे ही आगे बढ़े पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस बीच, सरपंचों को बातचीत के लिए मुख्यमंत्री निवास से बुलावा भेजे जाने की बात सामने आई थी। लेकिन, बाद में सरपंच संघ के नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री से मुलाकात की अफवाह फैलाई गई है।
प्रदर्शनकारी सरपंचों ने कहा कि गांधी जी ने ग्राम स्वराज की परिकल्पना भारत के प्रत्येक गांव को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया था। गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गाँधी जी ने पंचायती राज व्यवस्था पर जोर दिया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गांधी जी के सपने को साकार करते हुए पंचायती राज व्यवस्था लागू किया। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार दिए थे। उन्होंने ग्राम पंचायतों को मजबूती दी। लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही ग्राम पंचायतों के सारे अधिकार छीन लिए गए। भाजपा सरकार ग्राम स्वराज की परिकल्पना के खिलाफ है।
क्या है प्रदर्शनकारी सरपंचों की मांग
- मध्य प्रदेश पंचायती राज ग्राम स्वराज 1993- 94 को पुनः पुन रूप से लागू किया जाए एवं सरपंचों को 1993-94 के पूरे अधिकार दिए जाए
- महिला सरपंच को शासकीय सुरक्षा प्रदान की जाये, दबंग लोंगो बिरोधियों के परेशान करने नीच हरकत करने पर कानून सुरक्षा नहीं कर पाता, यदि महिला सरपंच के पति परिवार के सदस्य साथ जाते हैं तो रोक लगाई जाती हैं
- ग्राम पंचायतों मे रोजगार सहायक/सचिव स्थांनतरण तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
- मनरेगा योजना अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में जितने भी ग्राम आते हैं उसे हिसाब से प्रत्येक ग्राम में 2- 2 सुदूर सड़क पंचायत को पावर दिया जाए एवं प्रत्येक ग्राम में दो-दो सड़क खोली जाए जिससे किसान की सड़क बन सके ।
- सरपंचों का मानदेय 4250 से बढ़ाकर 20000 किया जाए ।
- टाइट अनटाइट व्यवस्था खत्म की जाए ग्राम सभा के प्रस्ताव अनुरूप राशि पंचायत में लगे।
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है किसी भी शासकीय बिल्डिंग एवं अन्य शासकीय निर्माण कार्य करने में कठिनाई आती है 15 दिन के अंदर संबंधित विभाग अतिक्रमण हटाए।
- ग्राम पंचायत के समस्त निर्माण कार्य एस.ओ. आर. दर बढ़ाकर पी. .डब्ल्यू.डी. के मान से किया जाए।
- मुख्यमंत्री लाडली बहना से बंजित सभी महिलाओं के लिए पोर्टल दोबारा खोला जाए एवं सरपंच बहनों को लाडली बहनों का लाभ दिया जाए।
- शासन द्वारा चलाई गई योजना एन.एम.एस. मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम यानी मौके पर जाकर मजदूरों के हाजरी एवं फोटो खींचकर अपलोड किया जाता है ऐसी स्थिति में नेटवर्क न होने के कारण या एप खुलने की वजह से मस्टर जीरो हो जाता है मजदूर कार्य करते हुए भी गैर हाजिर हो जाता है मोबाइल मानटरिंग सिस्टम हटाया जाए ।
- ग्राम पंचायत के कर्मचारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता रोजगार सहायक एवं सचिव इनके मानदेय पर सरपंच के हस्ताक्षर से निकासी हो ।
- खेत सड़क सुदूर सड़क की स्वीकृति दी जाए एवं उनमें लगने वाले मैटेरियल जैसे मिट्टी वजरा को पंचायत से नि:शुल्क को उठाने की स्वीकृति दी जावे ।
- सरपंच को 30 परसेंट स्वक्षा निधि दी जाए जिसमें जरूरतमंदों को ग्राम सभा के प्रस्ताव द्वारा दी जा सके ।
- आवंटित कोटा में से 20% आवास ग्राम सभा की प्रस्ताव अनुसार अती जरूर बेसहारा गरीबों को दी जाए ।
- जैसे कि प्रधानमंत्री सड़क एवं पी.डबल्यू.डी सड़क के लिए 5 साल में दोबारा कार्य कराया जाता है लेकिन खेत सड़क में नहीं बल्कि यह तो कच्चा कार्य है इसे तो हर 2 साल में नगद राशि मरम्मत के लिए दी जाए गांव की मुख्य समस्या है ।