हरिद्वार. हिंदू धर्म में आषाढ़ का विशेष महत्व बताया गया है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता हैं क्योंकि आषाढ़ माह चातुर्मास का पहला महीना होता हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार के आषाढ़ की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं जो विष्णु भगवान को समर्पित होती है. योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होने से ठीक पहले की एकादशी होती है. योगिनी एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीर सागर में सोने चले जाते हैं. एकादशी व्रत और आषाढ़ का महीना दोनों ही श्रीहरि को प्रिय हैं इसलिए इस एकादशी का महत्व बाकी सबसे खास माना जाता है.
हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से करने पर मनवांछित फल मिलता है. इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान, भजन कर अपने व्रत का संकल्प करें. जो व्यक्ति योगिनी एकादशी के व्रत को नियमानुसार पूरा करता हैं उसके ऊपर माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन की बरसात करती है.
कब है योगिनी एकादशी
हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री ने जगन्नाथ डॉट कॉम से बताया कि साल भर में 24 एकादशी आती है. सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से बहुत से लाभ होते हैं. साल 2024 में योगिनी एकादशी 02 जुलाई को मनाई जाएगी. 02 जुलाई को योगिनी एकादशी कृतिका नक्षत्र में होगी. योगिनी एकादशी का व्रत करने और विष्णु भगवान की पूजा अर्चना, ध्यान, भजन, जाप आदि नियमानुसार करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन की बरसात करती हैइन कार्यों से करें परहेज
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है. योगिनी एकादशी पर चावल खाने का बहुत बड़ा दोष लगता है. भगवान विष्णु को भोग लगाने वाला वाले प्रसाद में तुलसी को जरूर सम्मिलित करना चाहिए. योगिनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को स्पर्श करना, उसके पत्ते तोड़ना, उसमे पानी देना वर्जित होता है क्योंकि तुलसी भी भगवान विष्णु की एकादशी का व्रत करती है. एकादशी के दिन तुलसी को हाथ लगाना वर्जित बताया गया है. इसलिए एकादशी के व्रत से एक दिन पहले ही तुलसी दल तोड़कर रख लें. एकादशी के दिन व्यक्ति को लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको इसका दोष लगेगा.
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