पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले हर पक्षी की अपनी एक अगल विशेषता होती है. ऐसा ही एक पक्षी टिटहरी है, जिसे आम भाषा मे टटाटिबली के नाम से भी जाना जाता है. इस पक्षी को भगवान ने ऐसा करिश्मा दिया है, जो अपने अंडों के जरिए अच्छे मानसून का संकेत देती हैं. भरतपुर के ग्रामीण इलाके में इस पक्षी को टिटहरी व पश्चिमी राजस्थान में इसे टिटूड़ी या टटाटिबली कहते हैं.भरतपुर के ग्रामीण लोग बताते हैं कि यह मादा अगर 6 अंडे देती है, तो अच्छी पैदावार व बरसात की उम्मीद बन जाती है. खुले घास के मैदान, छोटे-मोटे पत्थरों, सूनी हवेलियों व सूनी छतों पर बसेरा करने वाली टिटहरी अप्रैल से जून माह के प्रथम सप्ताह तक करीब 4 से 6 अंडे देती है, जिनसे मानसून का पता लगाया जाता है.ग्रामीण लोग और बुजुर्गों का मानना कि जब टिटहरी अंडे देती है, तो इसके कुछ दिन बाद ही बरसात आने की संभावना बन जाती है. इनका मानना है कि टिटहरी को पहले से ही आगे के मौसम का संकेत पता लग जाता है.यही टिटहरी अनेक तरह के शिकारी पक्षियों व जानवरों के आने व आस-पास होने की चेतावनी भी अपनी आवाज से दे देती है. इससे इस पक्षी के आस-पास घूमने वाले पशु-पक्षी संकेत पाकर सावधान हो जाते हैं.गांव के बुजुर्ग बताते
हैं कि इस पक्षी के अंडे देने के बाद लगभग 18 से 20 दिनों बाद इनमें से बच्चे बाहर निकल जाते हैं. टिटहरी के बच्चों के पैरों का रंग सामान्य तौर पर लाल होता है. बाद में धीरे-धीरे बड़े होने के साथ यह रंग पीला होता जाता है. इनके अंडे भूरे-काले धब्बेदार होते हैं.ये कीट-पतंगे खाकर अपना भरण-पोषण करते हैं. मौसम का अंदाजा बताने वाली टिटहरी कई प्रकार की आवाजें निकालती हैं. इसकी आवाज से यह पता लगता है कि या तो मौसम बदलने वाला है या फिर कोई जानवर या पक्षी आने वाला है.