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घर में छिपा सांप निकलकर भागेगा, बड़ी कमाल की है खली, आदिवासी सदियों से अपना रहे ये तरीका

गोड्डा. गर्मी के मौसम में सांप का निकलना आम बात है. खासकर ग्रामीण इलाकों में मिट्टी के बने घरों या आसपास ज्यादा सांप देखे जाते हैं. सांप को देखने के बाद कई बार लोग डर के मारे भागने लगते है या उल्टा सांप को मार डालते हैं. गर्मी और बरसात के दिनों में सांप कांटने के मामले भी बढ़ जाते हैं. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आदिवासी एक अनोखा तरीका आजमाते हैं, जो काफी कारगर माना जाता है.सदियों से आदिवासी सांप को भगाने के लिए एक अनोखी खली का उपयोग करते हैं, जिसे महुआ की खली कहा जाता है. कई ग्रामीण इलाकों में इसे कोढ़ी खली भी कहते हैं. इसके एक टुकड़े को जलाकर घर के किसी कोने में रख दिया जाता है, जिससे सांप घर से खुद ब खुद भाग जाता है. आदिवासियों का मानना है कि इसका धुआं सांप को पसंद नहीं और खली जलाने पर वह महक के बाद उस स्थान को छोड़ देता है.घाव भरने में भी कारगर
सांप भागने के साथ साथ इस खली के और भी कई उपयोग होते हैं. खली को जलाकर उसकी राख को शरीर में उस जगह पर 3-4 बार लगाया जाता है, जहां पर कीड़े-मकोड़ों के चढ़ने से इंफेक्शन हुआ हो. आदिवासियों का मानना है कि ऐसे घाव तुरंत ठीक हो जाते हैं. वहीं इस खली को बेचने वाले दुकानदार अनंत लाल शाह बताते हैं कि यह खली हजारीबाग, दुमका, देवघर अलग-अलग जगहों से मंगवाते हैं. यह सब जगह आसानी से नहीं मिलती. आदिवासी गांव के आसपास लगने वाले हाट में यह 40 से 50 रुपये प्रति किलो में बिकती है.क्या होता है महुआ खली?
महुआ खली जिसे आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में कोढ़ी खली और दुकानदार इसी को कोचड़ा खली कहते हैं. अगर इसके निर्माण की बात करें तो यह महुआ के बीज से तैयार की जाती है, जिसमें पहले महुआ के बीज से चक्की मिल में तेल निकाला जाता है. इसके बाद इसके अवशेष को जमा कर इसे उपलों की भांति धूप में सुखाया जाता है. इसका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है.कैसे भागते हैं इसके धुएं से सांप?
आदिवासी बताते हैं कि ये खली महुआ से तैयार की जाती है, जो एक नशीला पदार्थ है. महुआ से ही नशीली शराब भी बनाई जाती है. महुआ तेल निकालने के बाद इसके अवशेष से बनी खली के धुएं में नशा होता है, जो खासकर कीड़े-मकोड़े या सांप को भगाने में कारगर होता है. लेकिन, इस धुएं का असर इंसानों पर नहीं होता है. वहीं, मछुआरे इस खली का उपयोग तालाब में मछलियों को हटाने के लिए भी करते हैं, जिसे पानी में डालने पर प्रभावित मछलियों के लिए यह जहर होता है और वह मर कर ऊपर आ जाती हैं.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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