महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा के सुनियोजित होने का शक जताया है। फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि छावा फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़काया है। 14 फरवरी को रिलीज हुई इस फिल्म से एक के बाद एक विवाद जुड़ते जा रहे हैं। फिल्म पर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी अब महाराष्ट्र में हिंसा तक पहुंच चुकी है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर एक फिल्म की रिलीज के बाद औरंगजेब को लेकर विवाद की शुरुआत कैसे हुई? यह पूरा मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय कैसे बन गया? इसके बाद अलग-अलग संगठनों ने इस मामले को कैसे तूल दिया?रिलीज से पहले ही विवादों में घिरी फिल्म
रिलीज से पहले ही छावा को गाने और ट्रेलर के कुछ दृश्यों को लेकर विवाद शुरू हो गया। ट्रेलर के एक सीन में छत्रपति संभाजी महाराज को नाचते हुए दिखाया गया था। इस पर इतिहासकारों और विभिन्न संगठनों ने आपत्ति जताई। कई लोगों ने तो इस ऐतिहासिक ड्रामा पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। हालांकि, निर्माताओं ने सीन को हटाकर इस विवाद को खत्म किया।
औरंगजेब की क्रूरता पर शुरू हुई चर्चा
फिल्म में औरंगजेब और मुगल सेना की संभाजी महाराज के साथ की गई क्रूरता को दिखाया गया। फिल्म के दृश्य इतने चौंकाने वाले थे कि एकाएक देशभर में औरंगजेब को लेकर सर्च बढ़ गए। क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने छावा देखने के बाद कहा कि हमें अकबर महान के बारे में तो बताया जाता है, लेकिन स्कूलों में छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। इतना ही नहीं उन्होंने सड़कों के नाम मुगल शासकों पर रखे जाने पर भी सवाल उठाए। देखते ही देखते यह पूरा मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बन गया। राजनीतिक गलियारों में औरंगजेब विवाद की एंट्री
इसी दौरान महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबु आजमी ने कहा, “औरंगजेब ने कई मंदिरों का निर्माण किया था… औरंगजेब क्रूर नहीं था। उन्होंने कहा कि मैंने औरंगजेब के बारे में जितना अध्ययन किया है, उससे मुझे यह समझ में आया कि उसने कभी भी जनता का धन अपनी भलाई के लिए नहीं लिया। उसका साम्राज्य बर्मा (वर्तमान समय में म्यांमार) तक फैला हुआ था। उस समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। मुझे लगता है कि वह एक महान प्रशासक थे और उसकी सेना में कई हिंदू कमांडर थे।”
आजमी के इस बयान का महाराष्ट्र के सभी सियासी दलों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद अबु आजमी ने खुद के बचाव की कोशिश की। हालांकि, अपने अगले बयान से वे और ज्यादा घिर गए। उन्होंने कहा, “उस समय राजा सत्ता और संपत्ति के लिए संघर्ष करते थे, लेकिन यह संघर्ष धार्मिक नहीं था। उसने (औरंगजेब ने) 52 साल तक शासन किया और अगर वह वाकई हिंदुओं को मुसलमान बना रहा था तो कल्पना कीजिए कि कितने हिंदुओं ने धर्म परिवर्तन किया होगा।”विधानसभा में उठा मामला, अबु आजमी को मांगनी पड़ी माफी
अबु आजमी के बयान पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “जिसने देशभक्त संभाजी को मारा, उस औरंगजेब को अच्छा शासक बताकर अबु आजमी ने बड़ा पाप किया है।” शिंदे ने सपा नेता के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की। मामला इतना बढ़ा कि आजमी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया।