करौली:- हाथरस में मची जानलेवा भगदड़ के बाद सुर्खियों में आए भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का राजस्थान के दौसा के बाद अलवर में भी एक आलीशान आश्रम मिला है. इस आश्रम से भी भोले बाबा के कई छुपे हुए राज बाहर आए हैं. यह आश्रम अलवर के खेड़ली कस्बे के सहजपुर गांव में स्थित है. पूर्वी राजस्थान में मिलने वाला बाबा का यह दूसरा आलीशान आश्रम करीब डेढ़ बीघा जमीन में फैला हुआ है.भोले बाबा का यह आश्रम भी अंदर से लेकर बाहर तक पूरी तरह से एकदम पैक है. अनुमति के बिना तो इस आश्रम में परिंदा भी पंख नहीं मार सकता है. इस आश्रम के चारों ओर की बाउंड्री भी इतनी ऊंची है कि अंदर का नजारा कोई बाहर का आदमी देख तक नहीं पाता है. बाहरी व्यक्ति की बात तो दूर, बाबा के इस आश्रम में स्थानीय ग्रामीणों के प्रवेश पर भी रोक लगी हुई है.
आधुनिक सुविधाओं से लैस है बाबा का ये आश्रमग्रामीणों का कहना है कि कोरोना काल के समय बाबा इसी आश्रम में ठहरा था और उसके बाद भी बाबा अक्सर यहां आया करता था. बाबा के इस आश्रम में भी अब तक कई बड़े कार्यक्रम भी हो चुके हैं. बाबा के अनुयायियों की तो इस आश्रम में हमेशा भीड़ लगी रहती है. भोले बाबा यह आश्रम भी पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से लैस है. इस आलीशान आश्रम में बाथरूम से लेकर आश्रम का हर एक कमरा AC से फुल है.गांव के ग्रामीणों के मुताबिक, जब भी भोले बाबा यहां आते हैं, तब आश्रम में केवल महिला अनुयाई को ही अंदर प्रवेश की अनुमति रहती है. अगर स्थानीय लोग इस आश्रम में प्रवेश करना चाहें, तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता है. कई बार प्रवेश को लेकर बाबा के सेवादार इस आश्रम में अनुयायियों के साथ मारपीट भी कर चुके हैं. अनुयायियों की ओर से मारपीट पर एतराज करने पर बाबा के सेवादार इसे उनका आशीर्वाद बताते हैं. बाबा के इस आश्रम में प्रवचन के लिए एक स्थान भी बना हुआ है, जहां बैठकर भोले बाबा प्रवचन देते हैं. बाबा के स्थान के सामने ही इस आश्रम में अनुयायियों के बैठने के लिए लगभग एक बीघा जमीन खाली पड़ी है
इस साल बना ये आश्रमइस आश्रम के लिए डेढ़ बीघा जमीन भी बाबा ने गांव के ग्रामीण से खरीदी थी. बाबा ने इस आश्रम का निर्माण 2009-10 के बीच कराया था. 2010 से ही सहजपुर गांव में बाबा का यह आश्रम चल रहा है. गांव के स्थानीय निवासी और वार्ड पंच फूलसिंह यादव ने लोकल18 को बताया कि भोले बाबा के प्रवचन के दौरान यहां बाहरी क्षेत्रों से आने वाले अनुयायियों को ही प्रवेश दिया जाता था. बाबा के कई अनुयायी इस आश्रम से घायल होकर भी गए हैं.
बाबा के दर्शनों को लेकर सेवादार कई बार अनुयायियों के साथ मारपीट भी कर चुके हैं. फूल सिंह का कहना है कि मैंने कई बार ऐसे घायल अनुयायियों से बात भी की है. उनका सिर्फ यही कहना रहता है कि यह तो बाबा के दर्शनों के लिए मिलने वाला प्रसाद है, जो भाग्य से ही मिलता है. सहजपुर गांव के ग्रामीणों का दावा है कि भोले बाबा के अनुयायियों को भले ही बाबा के यहां चमत्कार दिखे हों, लेकिन ग्रामीणों ने यहां आज तक बाबा का कोई चमत्कार नहीं देखा है. बाबा के जो भी अनुयायी इस आश्रम पर आते है, वह सभी भोले बाबा को भगवान मानते है.