सेहत

दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों को डॉक्टर्स की सलाह, शुरू कर दें ये विटामिन सप्लीमेंट लेना

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण और स्मॉग के बीच अब एक नई चिंता सामने आई है. वो है विटामिन D की कमी. हवा में बढ़ते धूल और धुएं के कारण सूरज की रोशनी शरीर तक ठीक से नहीं पहुंच पाती जिससे लोगों में विटामिन D की कमी तेजी से हो रही है. एक्सपर्ट्स इससे बचने के लिए इस मौसम में विटामिन D सप्लीमेंट लेने की सलाह दे रहे हैं.

विटामिन D एक जरूरी पोषक तत्व है जो हड्डियों को मजबूत रखने, इम्यूनिटी बढ़ाने और कैल्शियम व फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है. इसका सबसे बड़ा सोर्स सूरज की रोशनी यानी धूप है. हालांकि, यह थोड़ी मात्रा में मछली, अंडे का पीला भाग (योक) और लीवर में भी पाया जाता है. लेकिन दिल्ली की सर्दियों में हर साल धुंध और प्रदूषण के कारण सूरज की रोशनी ठीक से नहीं मिल पाती. ऐसे में डॉक्टर लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे विटामिन D की सप्लीमेंट लेना शुरू कर दें.

विटामिन D सप्लीमेंट क्यों लेना चाहिएदिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉ. अम्बरीश मित्तल के अनुसार, ‘नवंबर से जनवरी तक दिल्ली में इतनी ज्यादा स्मॉग रहती है कि सूरज की किरणें हमारी त्वचा तक नहीं पहुंच पातीं. इसलिए इस दौरान लोगों को विटामिन D की गोलियां रोज लेनी चाहिए. उनके अनुसार बड़ों को रोजाना  2000 IU (50 mcg ) विटामिन D लेना चाहिए, टीनएजर्स को रोजाना 1000 IU (25 mcg)  और छोटे बच्चों के लिए 600 से 1000 IU काफी है.

अप्रैल में जारी ICRIER और Anvka Foundation की रिपोर्ट के मुताबिक, हर पांच में से एक भारतीय में विटामिन D की कमी पाई जाती है. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण भरे मौसम में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सप्लीमेंट लेना सेहत के लिए फायदेमंद है, खासकर जब धूप कम मिले.

रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पूर्वी हिस्सों में यह समस्या सबसे ज्यादा है, जहां करीब 39% लोग विटामिन D की कमी से परेशान हैं. यह कमी टीनएजर्स, नवजात बच्चों और बुजुर्गों में और भी ज्यादा पाई गई है.

भारतीयों में क्यों हो रही है विटामिन D की कमी?

कई रिसर्च के मुताबिक विटामिन D की कमी शहरों में गांवों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. इसकी बड़ी वजह है, कम धूप मिलना और हवा में बढ़ता प्रदूषण.

गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल के डॉ. तुषार त्यागल का कहना है कि हवा में फैला प्रदूषण सूरज की किरणों को जमीन तक पहुंचने से रोक देता है, खासकर वे UVB किरणें जो हमारी त्वचा में विटामिन D बनाने के लिए जरूरी होती हैं. वे कहते हैं कि आजकल लोग धूप में कुछ समय बिताते भी हैं तो भी स्मॉग और धूल भरी हवा के कारण शरीर को पर्याप्त विटामिन D नहीं मिल पाता.

भारत में पहले से ही विटामिन D की कमी एक बड़ी समस्या है, जिससे हड्डियां कमजोर होना, थकान, इम्यूनिटी कमज़ोर पड़ना और मूड स्विंग जैसी दिक्कतें होती हैं. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि शहरों में रहने वाले लोगों को रोज विटामिन D सप्लीमेंट लेना फायदेमंद हो सकता है.

हालांकि, डॉक्टरों ने यह भी चेतावनी दी है कि विटामिन D की जरूरत से ज्यादा मात्रा लेना नुकसानदायक हो सकता है. ऐसा करने से ब्लड में कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है (हाइपरकैल्सीमिया), जिससे मतली, उल्टी, कमजोरी, बार-बार पेशाब आना, हड्डियों में दर्द और यहां तक कि किडनी में स्टोन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. पिछले साल अमेरिकी एंडोक्राइन सोसाइटी ने अपनी गाइडलाइन में कहा था कि 75 साल से कम उम्र के स्वस्थ लोगों के लिए विटामिन D की रूटीन जांच या सप्लीमेंट जरूरी नहीं है क्योंकि इससे ओवरडायग्नोसिस और गलत इस्तेमाल का खतरा रहता है.

लेकिन भारतीय डॉक्टरों का मानना है कि भारत की स्थिति अलग है. यहां धूप तो बहुत है, लेकिन लाइफस्टाइल और प्रदूषण के कारण लोग धूप में रह ही नहीं पाते. यही वजह है कि इसे ‘सनशाइन डेफिशिएंसी’ यानी धूप की कमी वाला देश कहा जा रहा है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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