छोटीसादड़ी में 21अप्रैल को लोगों को एक अद्भुत मिसाल देखने को मिलेगी. यहां आयोजित होने वाले दीक्षा समारोह में एक मां और बेटी साध्वी की तरह घर से विदा लेंगी. आयोजन को लेकर परिवार ने पूरी तैयारियां कर ली है. नगर की रहने वाली प्रीति पोरवाल पेशे से सरकारी शिक्षिका हैं. उनकी 11 साल की बेटी सारा पोरवाल भी संन्यास लेने वाली है. दोनों ने सांसारिक मोह माया छोड़ कर संयम के पथ पर चलने का फैसला लिया है. सकल जैन श्रीसंघ के संतों के सान्निध्य में 21 अप्रैल को दोनों की दीक्षा होगी.अपने इस फैसले के बाद सारा दीक्षा लेने वाली सबसे कम उम्र की साध्वी बन जाएंगी. सारा अपनी मां प्रीति के साथ दीक्षा ग्रहण करेंगी. प्रीति ने जब पहली बार अपने विचार परिवार के साथ साझा किया तो उनके परिवार वालों ने उम्र का हवाला देकर उन्हें दीक्षा लेने से रोकने की कोशिश की थी. लेकिन प्रीति ने कठिन रास्तों की परवाह किए बिना संयम पथ पर आगे बढऩे का निश्चिय कर लिया है. प्रीती ने सरकारी शिक्षिका पद का त्याग कर दिया और अब दीक्षा लेने की तैयारी में जुट गई हैं. दीक्षा महोत्सव को लेकर धर्मसभा का आयोजन किया जा रहा है.मां का साथ देगी बेटी
जहां प्रीति के फैसले में अब घरवाले उसका साथ दे रहे हैं, वहीं उसकी बेटी ने भी अपनी मां के नक़्शे कदम पर चलने का फैसला किया है. मात्र ग्यारह साल की उम्र में सारा भी सारे रिश्ते नाते और मोह-माया को छोड़ दीक्षा लेगी. इसके बाद सारा सबसे कम उम्र की साध्वी बन जाएगी. मां बेटी के इस फैसले की चर्चा हर तरफ हो रही है. लोगों ने उनके इस त्याग के पल का साक्षी बनने का फैसला किया है. इसके लिए 21 अप्रैल को स्वर्ण नगरी छोटी सादड़ी में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.बन जाएंगी साध्वी
छोटीसादड़ी में विराजित आचार्य कुलबोधी सुरीश्वर मसा ने अपने व्याख्यान माला में बताया कि हमारे दिशाहीन जीवन को सही दिशा देने का एक मात्र मार्ग दीक्षा है. दीक्षा संसार से विरक्त होकर संयम पथ पर चलने का, सारे कर्मों को खपाकर मोक्ष मार्ग की तरफ बढ़ने का एक मात्र साधन है. दीक्षार्थी बहनें जैन धर्म के अनंत कोटी ज्ञान को अपने में समाहित कर समाज को एक नई दिशा प्रदान करेंगी. दीक्षार्थी बहनें संयम के पथ पर चलकर लोभ, मोह, माया का त्याग कर 21 अप्रैल को स्वर्ण नगरी छोटी सादड़ी में विराजित आचार्य कुलबोधी सूरीश्वर मसा की निश्रा में संयम ग्रहण करेंगी. दीक्षा के पश्चात 21 अप्रैल को ही अपने गुरु सौम्या रत्ना श्रीजी एवं पुनीतरसा श्रीजी के साथ नगर से एक साध्वी की तरह प्रस्थान करेंगी.

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