छत्तीसगढ़

आज रायपुर प्रेस क्लब में दिल्ली से वापस लौटे बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने प्रेस वार्ता कर अपनी व्यथा रखी और सभी सांसदों समेत मीडिया एवं आम लोगों से अपनी गुहार लगाई

बस्तर शांति समिति (रायपुर)

31 अगस्त, रायपुर।
आज रायपुर प्रेस क्लब में दिल्ली से वापस लौटे बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने प्रेस वार्ता कर अपनी व्यथा रखी और सभी सांसदों समेत मीडिया एवं आम लोगों से अपनी गुहार लगाई।

बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए सभी सांसदों से उन्हें समर्थन नहीं करने की अपील की। साथ ही आम लोगों से भी इस अपील का समर्थन करने की मांग की।

बस्तर शांति समिति के बैनर पर हुए इस प्रेस वार्ता में नक्सल पीड़ितों ने कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने नक्सलवाद के विरुद्ध चल रहे आदिवासियों के आंदोलन ‘सलवा जुडूम’ पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले के कारण बस्तर में माओवाद तेजी से बढ़ा और ऐसा नासूर बन गया जिसका कहर आज भी जारी है।

पीड़ितों ने बताया कि सलवा जुडूम के मजबूत होते ही नक्सली संगठन न सिर्फ कमजोर हुआ बल्कि खत्म होने की कगार पर आ चुका था। लेकिन दिल्ली के कुछ नक्सल समर्थकों के आवेदन पर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। पीड़ितों का कहना है कि इस निर्णय से पहले कभी उनसे नहीं पूछा गया कि वे क्या चाहते हैं और उनकी परिस्थिति कैसी है।

सियाराम रामटेके (नक्सल पीड़ित किसान) ने कहा कि यदि यह फैसला न हुआ होता तो शायद उनके साथ वह घटना नहीं होती जिसमें माओवादियों ने उन पर गोलियां चलाईं और पत्थरों से हमला कर उन्हें मृत समझ छोड़ दिया। आज वे दिव्यांग जीवन जी रहे हैं और सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी से बेहद आहत हैं।

केदारनाथ कश्यप (नक्सल पीड़ित) ने बताया कि सलवा जुडूम बंद होने के बाद माओवादियों ने उनके भाई की नृशंस हत्या की थी। यदि 2011 में प्रतिबंध का निर्णय न हुआ होता तो 2014 तक उनका क्षेत्र नक्सलमुक्त हो जाता और यह हादसा नहीं होता।

इसी तरह शहीद मोहन उइके की पत्नी ने आंसुओं के साथ बताया कि सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगने के बाद माओवादियों ने एम्बुश लगाकर उनके पति को बलिदान कर दिया। उस समय उनकी बच्ची मात्र 3 महीने की थी जिसने कभी अपने पिता को देखा तक नहीं।

महादेव दूधु (चितंगावरम हमले के पीड़ित) ने अपनी टूटी-फूटी हिंदी और गोंडी में बताया कि दंतेवाड़ा से जा रही आम बस पर नक्सलियों ने हमला किया, जिसमें 32 लोग मारे गए और उन्होंने खुद अपना एक पैर खो दिया।

बस्तर शांति समिति के जयराम ने कहा कि नक्सल पीड़ितों ने दिल्ली जाकर अपनी पीड़ा साझा की और अब रायपुर में भी वे यही गुहार लगा रहे हैं कि देश के सांसद ऐसे किसी भी व्यक्ति का समर्थन न करें जिसने उनकी जिंदगी को और बस्तर की शांत भूमि को नर्क बना दिया।

समिति के मंगऊ राम कावड़े ने बताया कि नक्सल पीड़ितों ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे सुदर्शन रेड्डी का समर्थन न करें। बस्तर में ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्होंने सलवा जुडूम पर प्रतिबंध के कारण नक्सली आतंक का दंश झेला और आज वे इस उम्मीदवारी से आहत हैं।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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