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Gustakhi Maaf: पापा की परियों पर नोरा फतेही वाला दबाव

-दीपक रंजन दास
दहेज को लेकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के किस्सों में अब नया कुछ नहीं रहा. दहेज को लेकर स्टैंडर्ड तानों पर तो पूरी किताब लिखी जा सकती है. पर दिमाग क्रिएटिव हो तो दहेज प्रताड़ना की बासी कढ़ी में भी उबाल आ जाता है. हमें यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं कि दहेज के मामलों में हम किसी के साथ नहीं हैं. न देने वाले के और न लेने वाले के. यदि आपने ढंग का दूल्हा खरीदने के लिए कोई सौदा किया था तो नियम और शर्तें भी खुद ही तय कर लेनी चाहिए थी. इसी सड़ेले सिस्टम की वजह से लड़के जिससे प्यार करते हैं, उससे शादी नहीं करते. उन्हें लगता है कि रिश्ता माता-पिता लेकर आएंगे तो मुफ्त का सामान तो मिलेगा ही, बीवी के नखरे भी ज्यादा नहीं उठाने होंगे. वैसे भी अब दहेज मांगी नहीं जाती बल्कि तश्तरी में सजाकर ऑफर की जाती है. जिसकी तैयारी अच्छी होती है, वह बाजी मार जाता है. दहेज के खिलाफ कुछ बोलो तो घर वाले ही काटने को दौड़ते हैं. जैसे-जैसे कमाई बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे इस दानव का मुंह भी फैलता जा रहा है. रही सही कसर किस्त पर पूरा गांव खरीदने की सहूलियत ने पूरी कर दी है. पर इस बार मामला जरा अलग है. नव-ब्याहता का आरोप है कि उसका पीटी टीचर पति उससे प्रतिदिन 2 घंटे जिम करवाता है. वह कहती है कि उसके पति को नोरा फतेही जैसी फिगर वाली लड़की चाहिए थी. आरोप यह भी है कि उसके पति ने कभी उसे हाथ भी नहीं लगाया. मुरादनगर की रहने वाली युवती की शादी इसी साल मार्च में मेरठ के एक सरकारी फिजिकल एजुकेशन टीचर से हुई. सरकारी नौकरी वाला लड़का पकड़ने के लिए पक्का ही लड़की वालों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया होगा. सरकारी क्षेत्र के बैंक भी ऐसा ही करते हैं. सरकारी मुलाजिमों पर वो कुछ ज्यादा ही मेहरबान होते हैं. आरोप हैं कि शादी में स्कॉर्पियो सहित कई मांगें रखी गई थीं जिसे पूरा भी किया गया. शादी पर 70 से 75 लाख रुपए का खर्च आया. बावजूद इसके सुहागरात को भी पति करीब नहीं आया. इन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो वक्त ही बताएगा पर नोरा फतेही वाला एंगल हिट हो गया. खबर पर हमारी नजर भी इसीलिए पड़ी. वैसे पापा की परियों को थोड़ा बहुत फिट करने की ख्वाहिश रखने वाले पतियों की कोई कमी तो नहीं है पर सीधे नोरा फतेही वाली डिमांड शायद कोई नहीं करता. हो सकता है पीटी मास्टर ने बीवी को मोटिवेट करने के लिए ऐसा किया हो. दबाव बनाने के लिए सुहागरात टाली हो. पर कानून की नजर में यह जुर्म है. इसके आधार पर तलाक भी हो सकता है. वैसे, पापा की परियों को अब तो समझ ही जाना चाहिए की अच्छी शादियां केवल दान-दहेज से नहीं चलतीं. थोड़ा-बहुत अनुशासन भी चाहिए होता है.

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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