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पहली कार से लेकर सालों पुराने स्कूटर का नंबर ‘1206’… लकी नंबर ही बन गया विजय रुपाणी के लिए सबसे अनलकी

विजय रुपाणी के लिए गुरुवार को उनका सबसे लकी नंबर ‘1206’ ही अनलकी साबित हो गया. विजय रुपाणी की पहली कार और वर्षों पुराने स्कूटर, दोनों का नंबर 1206 ही था. वह इस नंबर को अपने लिए बेहद शुभ मानते थे. आज भी यह कार और स्कूटर उनके घर के बाहर पार्क है. लेकिन, संयोग की बात है कि गुरुवार की तारीख भी 12-06 थी जो उनके जीवन का अंतिम दिन बन गई.

अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया प्लेन क्रैश से पूरा देश सदमे में है. इस विमान हादसे में 265 लोगों की मौत हो गई. यह प्लेन अहमदाबाद से लंदन जा रहा था जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी सवार थे. वह अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने जा रहे थे. विजय रुपाणी के निधन की तारीख यानी 12 जून या 12-06 से जुड़ा एक संयोग सामने आया है

 

पूर्व सीएम इस नंबर को अपने लिए लकी मानते थे. ‘1206’, यह नंबर उनके लिए इतना खास था कि उनकी गाड़ियों का नंबर भी शुरुआत से यही रहा. लेकिन गुरुवार को यही संख्या उनके लिए अशुभ साबित हो गई.

आज भी घर के बाहर मौजूद है ‘1206’ वाला स्कूटर और कार

 

विजय रुपाणी के लिए गुरुवार को उनका सबसे लकी नंबर ‘1206’ ही अनलकी साबित हो गया. विजय रुपाणी की पहली कार और वर्षों पुराने स्कूटर, दोनों का नंबर 1206 ही था. वह इस नंबर को अपने लिए बेहद शुभ मानते थे. आज भी यह कार और स्कूटर उनके घर के बाहर पार्क है. लेकिन, संयोग की बात है कि गुरुवार की तारीख भी 12-06 थी जो उनके जीवन का अंतिम दिन बन गई.

घर के आसपास छाया सन्नाटा

विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिलते ही विजय रुपाणी के घर के आसपास बाहर सन्नाटा छा गया. पड़ोसियों ने उनके घर के पास स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू कर दी. फिलहाल रुपाणी परिवार की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है, और घर में भी कोई मौजूद नहीं है.

उड़ान भरने के कुछ मिनटों बाद ही क्रैश हो गया प्लेन

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फ्लाइट ने उड़ान भरने के कुछ मिनटों बाद ही ऊंचाई खो दी और सबसे पहले बी.जे. मेडिकल कॉलेज की मेस बिल्डिंग से टकराई. इसके बाद विमान ने पास ही स्थित अतुल्यम हॉस्टल को भी चपेट में ले लिया, जहां सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर्स रहते थे. टक्कर के साथ ही इन इमारतों में आग लग गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. राहत कार्य में सेना, नगर निगम और मेडिकल टीमें मिलकर दिन-रात जुटी हुई हैं

 

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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