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लाडली बहना का पैसा अब से 10 तारीख को नहीं आएगा, MP सरकार ने किया बड़ा बदलाव

योजना का पैसा अब से हर महीने की 10 तारीख को नहीं आएगा। राज्य सरकार ने इसमें बड़ा बदलाव कर दिया है। पिछले महीने लाडली बहना स्कीम की लाभार्थी महिलाओं के खाते में 1250 रुपये 16 अप्रैल को आए थे। खाते में पैसा आने में देरी होने से राज्य की 1.27 करोड़ महिलाओं के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी थीं। हालांकि यह माना गया था कि नया वित्त वर्ष शुरू होने की वजह से यह देरी हो रही है।मगर अब अधिकारियों ने पुष्टि कर दी है कि लाडली बहना का पैसा खाते में भेजने की तारीख को बदल दिया गया है। पहले हर महीने 1 से 10 तारीख के बीच में खाते में पैसा आ जाता था। अब से महिलाओं को खाते में 1250 रुपये के लिए 15 तारीख तक का इंतजार करना होगा। सरकार ने पेमेंट साइकिल को ही आगे बढ़ा दिया है। मध्‍य प्रदेश में मह‍िलाओं व

हर महीने 1550 करोड़ की जरूरत

दरअसल यह कदम कैश फ्लो को मैनेज करने के लिए उठाया गया है। फंड रिलीज करने से पहले राज्य को केंद्र सरकार से मिलने वाले टैक्स ‘Devolution’ का इंतजार है। मध्य प्रदेश सरकार को 2025-26 के केंद्रीय बजट में Devolution के तौर पर 1.11 लाख करोड़ रुपये मिलने हैं और लाडली बहना योजना को चलाने के लिए हर महीने 1550 करोड़ रुपये की जरूरत है।

केंद्र से किस्तो में मिलता है पैसा

केंद्र सरकार से मिलने वाला यह टैक्स हर साल 14 किस्तों में आता है और हर महीने की 10 तारीख को यह फंड आता है। इसी वजह से राज्य सरकार ने लाडली बहना का पैसा ट्रांसफर करने की तारीख में बदलाव किया है। पिछले केंद्रीय बजट में मध्य प्रदेश को केंद्र सरकार से 97,000 करोड़ मिले थे।

बंद नहीं होगी योजना

मध्य प्रदेश सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि लाडली बहना योजना में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और लाभार्थियों के खाते में बिना किसी दिक्कत के पैसा आता रहेगा। बस भुगतान का समय बदल दिया गया है। मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना को मार्च 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले लॉन्च किया गया था। ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना’ मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) योजना है। शुरुआत में लाभार्थियों को हर महीने 1000 रुपये मिलते थे, लेकिन 2023 में इसे बढ़ाकर 1250 रुपये हर महीने कर दिया गया। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया था कि साल दर साल इसे बढ़ाते हुए इसे 3000 रुपये हर महीने किया जाएगा। लेकिन अभी ऐसा नहीं है।

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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