इस दिन सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और दफ्तर पूरी तरह बंद रहेंगे। धार्मिक आयोजनों की तैयारियाँ जोरों पर हैं। यह छुट्टी न केवल आराम का अवसर है, बल्कि परंपराओं से जुड़ने और सामाजिक सहभागिता का प्रतीक भी बन रही है।
धार्मिक महत्व के चलते लिया गया निर्णय
भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है और वे शस्त्र विद्या के ज्ञाता थे। उनकी जयंती पर राज्य भर में धार्मिक आयोजन, भजन-कीर्तन, शोभा यात्राएं, और भंडारे आयोजित किए जाते हैं। यह अवकाश न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक विशेष दिन बन जाता है।
छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत
यह छुट्टी विशेष रूप से उन छात्रों के लिए राहत का समय है जिन्होंने हाल ही में परीक्षाएं पूरी की हैं। यह एक ऐसा समय है जब वे मानसिक विश्राम के साथ-साथ अपनी आगे की पढ़ाई की योजना बना सकते हैं। अभिभावक भी इस अवकाश का लाभ लेकर बच्चों के साथ समय बिता पाएंगे।
निजी संस्थानों को भी दी गई सलाह
हालांकि यह अवकाश सरकारी संस्थानों के लिए अनिवार्य है, लेकिन प्राईवेट कंपनियों और संस्थानों को भी सरकार की ओर से छुट्टी देने की सलाह दी गई है, ताकि सामाजिक सौहार्द और धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जा सके।
धार्मिक आयोजनों की तैयारी जोरों पर
पंजाब के विभिन्न जिलों में मंदिरों को सजाया जा रहा है, धार्मिक संस्थाएं यज्ञ, प्रवचन और भंडारे की तैयारियों में जुटी हैं। परशुराम जयंती केवल एक छुट्टी नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक चेतना का उत्सव बन चुकी है।
29 अप्रैल को घोषित यह सार्वजनिक अवकाश केवल एक दिन की छुट्टी नहीं है, यह राज्य की धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम है। परशुराम जयंती के मौके पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम, छात्रों और नागरिकों के लिए यह दिन आत्ममंथन और अध्यात्म से जुड़ने का भी अवसर बनता है।