देश दुनिया

कड़वा तो बहुत है, मगर शरीर के लिए वरदान है काला धतूरा ! अस्थमा-पथरी समेत सैकड़ों बीमारियों में रामबाण

भारत में कई ऐसी जड़ी-बूटियां और पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जो बीमारियों का काल बन सकते हैं. आयुर्वेद में इन चीजों का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. एक ऐसी ही चीज काला धतूरा है, जिसे आयुर्वेद में औषधीय पौधा माना जाता है, अब वैज्ञानिक शोध में भी यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है. इस पौधे को आमतौर पर जहरीला माना जाता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेकर सही तरीके से इसका उपयोग किया जाए, तो कई बीमारियों से निजात मिल सकती है. काला धतूरा अस्थमा, पथरी, बुखार, सिरदर्द जैसी परेशानियों से छुटकारा दिला सकता है

 

रिसर्च जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी एंड फार्माकोडायनामिक्स (RJPPD) की रिसर्च में पाया गया कि काले धतूरे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो विभिन्न रोगों के इलाज में सहायक हो सकते हैं. शोध के अनुसार काले धतूरे के बीज और पत्तों का धुआं अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी समस्याओं में राहत दे सकता है. इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व सिरदर्द, जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं में राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं. पारंपरिक चिकित्सा में फोड़े-फुंसी, खुजली और त्वचा संक्रमण के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है.

शोध में भी पाया गया कि इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा रोगों में फायदेमंद हो सकते हैं. काले धतूरे के कुछ तत्व मांसपेशियों को आराम देने और ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं. आयुर्वेद में इसे पाचन सुधारने, बुखार कम करने और संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उपयोग किया जाता रहा है. रिसर्च के अनुसार धतूरे के पत्तों का स्वाद कड़वा होता है और धतूरे के बीजों जैसी ही गंध होती है. इसका उपयोग एनोडीन और एंटीस्पास्मोडिक के रूप में भी किया जाता है. इसकी जड़ों का उपयोग कुत्ते के काटने पर किया जाता है.पत्तियों का प्रयोग सूजन और बवासीर में होता है,और इनका रस त्वचा रोगों के उपचार के लिए बाहरी रूप से लगाया जाता है. पत्तियों को पुल्टिस के रूप में कटिवात, साइटिका, नसों के दर्द, कण्ठमाला और दर्दनाक सूजन में उपयोग किया जाता है. शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि काले धतूरे का अधिक सेवन जहरीला हो सकता है और इसके कुछ रासायनिक तत्व नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार गलत तरीके से सेवन करने पर यह मतिभ्रम, उल्टी, हार्ट रेट में गड़बड़ी का कारण भी बन सकता है. इसे केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर की देखरेख में ही इस्तेमाल करना चाहिए.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button