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मनमानी पर सख्ती, लग्जरी वाहनों से सैर-सपाटा नहीं कर सकेंगे एमपी के अफसर

मध्य प्रदेश में सरकारी अफसरों के लग्जरी वाहनों से सैर-सपाटे पर सरकार ने शिकंजा कसा है। सरकार अफसरों के एक से अधिक गाडिय़ों के इस्तेमाल और मनमानी पर सख्ती से रोक लगाने जा रही है। इसके लिए मैदानी अफसरों की समीक्षा होगी। दूसरे और तीसरे दर्जे के अफसरों की मनमानी की शिकायतों के बाद सरकार ने नए सिरे से गाइडलाइन जारी की है। नियमों के पालन को लिखा है।

अफसरों के टैक्सी कोटे से गाड़ी लेने व पेट्रोल-डीजल के भुगतान के मापदंड तय हैं। लेकिन अफसर इसमें सेंध लगा रहे हैं। एक से अधिक पद के प्रभार में रहने वाले अफसर एक से अधिक गाडिय़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे मनमर्जी से पेट्रोल-डीजल के भुगतान कर रहे हैं।
जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास निगम की नियमों के उल्लंघन की शिकायतें मिली हैं। अब जल-संसाधन इस पर संभाग स्तरीय समीक्षा करेगा। सामान्य प्रशासन के नियमों के तहत ही गाडियां किराए पर लेकर इस्तेमाल की जाएंगी।
विभागों में मनमानी अधिकतर विभागों में किराए पर गाड़ी लेने में मनमानी हो रही है। ग्रामीण विकास में मनरेगा के तहत भी ऐसे मामले आए थे। अब जल संसाधन व नर्मदा घाटी विकास में शिकायतें आई हैं। बता दें, शासन ने अगस्त 2018, दिसंबर 2017, दिसंबर 2013, अक्टूबर 2011 में ज्यादा गाडिय़ों के उपयोग की गाइडलाइन दी थी।

यह है नई गाइडलाइन

यह गाइडलाइन 10 फरवरी 2025 को सभी मुख्य अभियंता, कार्यपालन-सहायक व प्रभारी यंत्री, कछार प्रभार, जोन प्रभारी, संभागीय प्रभारी सहित मैदानी अफसरों को गाडिय़ों के लिए गाइडलाइन भेजी है। उन्हें हर संभाग में समीक्षा को कहा है। मैदानी अफसरों को निर्देश हैं कि टैक्सी कोटे से जो गाड़ी ली जाएगी, उसका मालिक प्रथम या द्वितीय श्रेणी के अफसर का रिश्तेदार नहीं होगा। ऐसा हुआ तो भुगतान से दोगुनी राशि वसूली जाएगी।

स्कार्पियो-बोलेरो नहीं ली जाएगी। वरिष्ठता के हिसाब से गाड़ी ली जाएगी। चालक राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होगा, किराये की गाड़ी सरकारी अफसर या ड्राइवर नहीं चलाएंगे।

वाहनों के उपयोग की समीक्षा के निर्देश

टैक्सी कोटे के वाहनों के उपयोग को लेकर समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।

-विनोद कुमार देवड़ा, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश

Manoj Mishra

Editor in Chief

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